कलौंजी - मौत के सिवा हर रोग की दवा
कलौंजी रेनुनकुलेसिया परिवार का झाड़ीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम “निजेला सेटाइवा” है जो लेटिन शब्द नीजर (यानी काला) से बना है, यह भारत सहित दक्षिण पश्चिमी एशियाई, भूमध्य सागर के पूर्वी तटीय देशों और उत्तरी अफ्रीकाई देशों में उगने वाला वार्षिक पौधा है जो 20-30 सें. मी. लंबा होता है। इसके लंबी पतली-पतली विभाजित पत्तियां होती हैं और 5-10 कोमल सफेद या हल्की नीली पंखुड़ियों व लंबे डंठल वाला फूल होता है। इसका फल बड़ा व गेंद के आकार का होता है जिसमें काले रंग के, लगभग तिकोने आकार के, 3 मि.मी. तक लंबे, खुरदरी सतह वाले बीजों से भरे 3-7 प्रकोष्ठ होते हैं। इसका प्रयोग औषधि, सौंदर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में किया जाता है।
“निजेला सेटाइवा” को अंग्रेजी में फेनेल फ्लावर, नटमेग फ्लावर, लव-इन-मिस्ट (क्योंकि इसका फूल लव-इन-मिस्ट के फूल जैसा होता है), रोमन कारिएंडर, काला बीज, काला केरावे और काले प्याज का बीज भी कहते हैं। अधिकतर लोग इसे प्याज का बीज ही समझते हैं क्योंकि इसके बीज प्याज जैसे ही दिखते हैं। लेकिन प्याज और काला तिल बिल्कुल अलग पौधे हैं। इसे संस्कृत में कृष्णजीरा, उर्दू में كلونجى , बंगाली में कालाजीरो, मलयालम में करीम जीराकम, रूसी में चेरनुक्षा, तुर्की में çörek otu कोरेक ओतु, ईरान में शोनीज, अरबी में हब्बत-उल-सौदा, मिस्र मे हब्बा-अल-बराकाحبه البركة seed of blessing , पर्शिया में سیاهدانه siyâh dâne सिया दाने, तमिल में करून जीरागम और तेलगू में नल्ला जीरा कारा कहते हैं। इसका स्वाद हल्का कड़वा व तीखा और गंध तेज होती है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों नान, ब्रेड, केक और अचारों में किया जाता है। चाहे बंगाली नान हो या पेशावरी खुब्जा (ब्रेड नान) या कश्मीरी पुलाव हो कलौंजी के बीजों से जरूर सजाये जाते हैं।
Kalongi as a beauty aid
इतिहास
कलौंजी का इतिहास बहुत पुराना है। सदियों से कलौंजी का प्रयोग एशिया, उत्तरी अफ्रीका और अरब मुल्कों में मसाले व दवा के रूप में होता आया है। आयुर्वेद और पुराने इसाईयों के ग्रंथों में इसका वर्णन है। ईस्टन के बाइबल शब्दकोष में हेब्रयु शब्द का मतलब कलौंजी लिखा गया है। पहली शताब्दी में दीस्कोरेडीज नामक ग्रीक चिकित्सक कलौंजी से जुकाम, सरदर्द और पेट के कीड़ों का उपचार करते थे। उन्होंने इसे दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक के रुप में भी प्रयोग किया। रोम में इसे ‘पेनासिया’ यानी हर मर्ज की रामबाण दवा माना जाता है। लेकिन मिस्र के इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि कलौंजी सबसे पहले मिस्र में तूतन्खामन के मकबरे में पाई गई। 3000 वर्ष पहले यह मिस्र के शासकों के पुतलों या मम्मियों के साथ रखे जाने वाली, मरणोपरांत काम आने वाली आवश्यक सामग्री में शामिल थी। फेरोज़ के चिकित्सक कलौंजी का प्रयोग जुकाम, सिरदर्द, दांत के दर्द, संक्रमण, एलर्जी आदि रोगों के उपचार में करते थे। कलौंजी का तेल स्त्रियों का प्रिय सौंदर्य प्रसाधन माना जाता था। मिस्र की सुंदर, रहस्यमय व विवादास्पद महारानी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती के रहस्य कलौंजी के तेल से निर्मित सौंदर्य प्रसाधन थे।
इस्लाम के अनुसार हज़रत मुहम्मद कलौंजी को मौत के सिवा हर मर्ज की दवा बताते थे। इसका ज़िक्र कई जगह हदीसों में मिलता है जैसे कि
साहीह मुस्लिम: 26 किताब अस सलाम, संख्या 5489
इसी सिलसिले में खालिद बिन साद ने लिखा है, “एक बार मैं और गालिब बिन अब्जार मदीना जा रहे थे और रास्ते में उनकी तबियत खराब हो गई। जब हम मदीना पहुंचे तो इब्न अबी अतीक हमसे मिलने आये, गालिब की तबियत पूछी और कहा कि इनकी नाक में 1-2 बूंद कलौंजी का तेल डाल दो तबियत ठीक हो जायेगी, उनके साथ आये हज़रत आइशा ने हमसे कहा कि उन्होंने मुहम्मद साहब को किसी से यह कहते हुए सुना है कि कलौंजी ‘सम’ के सिवा हर मर्ज़ की दवा है। मैंने पूछा कि ‘सम’ क्या है? उन्होंने कहा कि सम का मतलब मौत है।”
ورد حديث في صحيح البخاري عن عائشة – رضي الله عنها – أنها قالت: قال رسول الله –
صلى الله عليه وسلم: ” إن هذه الحبة السوداء شفاء من كل داء إلا السام، قلت: وما السام؟ قال الموت
कलौंजी तिब-ए-नब्वी की दवाओं की फेहरिस्त या प्रोफेट मुहम्मद की दवाओं में भी शामिल है। एविसिना ने अपनी किताब ‘केनन आफ मेडीसिन’ में लिखा है कि कलौंजी शरीर को ताकत से भर देती है, कमजोरी व थकान दूर करती है तथा पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र तथा प्रजनन तंत्र की बीमारियों का इलाज करती है।
पोषक तत्वों का अंबार
कलौंजी में पोषक तत्वों का अंबार लगा है। इसमें 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा होते है। इसमें 100 ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। इसमें आवश्यक वसा अम्ल 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक एसिड), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक एसिड) और 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं। इसमें 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं। निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है।
थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है। तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है।
कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं। कलौंजी में 15 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैँ और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं। शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं।
कलौंजी-एक रामबांण दवा
कैंसर
जेफरसन फिलडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है और उन्हें नष्ट करता है। शोध की आरंभिक अवस्था में ही शोधकर्ता मानते है कि शल्यक्रिया या विकिरण चिकित्सा करवा चुके कैंसर के रोगियों में पुनः कैंसर फैलने से बचने के लिए कलौंजी का उपयोग महत्वपूर्ण होगा। थाइमोक्विनोन इंटरफेरोन की संख्या में वृध्दि करता है, कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है, कैंसर कोशिकाओं का सफाया करता है और एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाले बी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है।
एंटीबेक्टीरियल गतिविधि
कलौंजी का सबसे ज्यादा कीटाणुरोधी प्रभाव सालमोनेला टाइफी, स्यूडोमोनास एरूजिनोसा, स्टेफाइलोकोकस ऑरियस, एस. पाइरोजन, एस. विरिडेन्स, वाइब्रियो कोलेराइ, शिगेला, ई. कोलाई आदि कीटाणुओं पर होती है। यह ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पोजिटिव दोनों ही तरह के कीटाणुओं पर वार करती है। विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसकी कीटाणुरोधी क्षमता ऐंपिसिलिन के बराबर आंकी गई। यह फंगस रोधी भी होती है।
यकृत का रक्षक और मुक्त मूलक (फ्री रेडिकल्स) का भक्षक
कलौंजी में मुख्य तत्व थाइमोक्विनोन होता है। विभिन्न भेषज प्रयोगशालाओं ने चूहों पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि थाइमोक्विनोन टर्ट-ब्यूटाइल हाइड्रोपरोक्साइड के दुष्प्रभावों से यकृत की कोशिकाओं की रक्षा करता है और यकृत में एस.जी.ओ.टी व एस.जी.पी.टी. के स्राव को कम करता है।
एंटीडायबीटिक गतिविधि
कई शोधकर्ताओं ने वर्षों की शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में उपस्थित उड़नशील तेल रक्त में शर्करा की मात्रा कम करते हैं।
एंटीइनफ्लेमेट्र्री गतिविधि
कलौंजी दमा, अस्थिसंधि शोथ आदि रोगों में शोथ (इन्फ्लेमेशन) दूर करती है। कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा करते हैं, सूजन कम करते हैं ओर दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं।
वर्मी साइडल
शोधकर्ता कलौंजी को पेट के कीड़ो (जैसे टेप कृमि आदि) के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं। पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलाते हैं। मीठे से परहेज जरूरी है।
एच.आई.वी.
मिस्र के वैज्ञानिक डॉ. अहमद अल-कागी ने कलौंजी पर अमेरीका जाकर बहुत शोध कार्य किया, कलौंजी के इतिहास को जानने के लिए उन्होंने इस्लाम के सारे ग्रंथों का अध्ययन किया। उन्होंने माना कि कलौंजी, जो मौत के सिवा हर मर्ज को ठीक करती है, का बीमारियों से लड़ने के लिए अल्ला ताला द्वारा हमें दी गई प्रति रक्षा प्रणाली से गहरा नाता होना चाहिये। उन्होंने एड्स के रोगियों पर इस बीज और हमारी प्रति रक्षा प्रणाली के संबन्धों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किये। उन्होंने सिद्ध किया कि एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृध्दि होती है। अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी।
कलौंजी-एक रामबांण दवा
मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है। मुझे पता लगा कि 1996 में अमेरीका की एफ.डी.ए. ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था। कलौंजी दुग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है। कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है। कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है। लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है। यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है। कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है।
1-कैंसर – कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खूब खाएं। 2 किलो गेंहू और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं। आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें।
2-खांसी व दमा – छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें।
3-उदासी और सुस्ती – एक ग्लास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें। आप को बहुत फर्क महसूस होगा।
4-स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना – एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
5-डायबिटीज – एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पितपाप्र को पीस कर चूर्ण बना लें। आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें।
6-गुर्दे और पेशाब की थैली की पथरी – पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें। इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें।
7-सुन्दर व आकर्षक चेहरे के लिए – एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच जैतून के तेल में मिला कर चेहरे पर मलें और एक घंटे बाद चेहरे को धोलें। कुछ ही दिनों में आपका चेहरा चमक उठेगा।
8-उल्टी और उबकाई – एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें।
9-स्वस्थ और निरोग रहने के लिए – एक बड़ी चम्मच तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे।
10-हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध – जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीनें तक लें।
11-सफेद दाग और लेप्रोसी – 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
12-कमर दर्द और आर्थाइटिस – हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
13-सिर दर्द – माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा।
14-अम्लता और आमाशय शोथ – एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक कप दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाशय की सब तकलीफें दूर हो जाती है।
15-बाल झड़ना – बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शेम्पू कर लें व अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा।
16-नेत्र रोग और कमजोर नजर – रोज सोने के पहले पलकों ओर ऑखो के आस-पास कलौजी का तेल लगायें और एक बड़ी चम्मच तेल को एक कप गाजर के रस के साथ एक महिने तक लें।
17-दस्त या पेचिश – एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा।
18-रूसी – 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेंहन्दी को मिला कर गर्म करें। ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैम्पू कर लें।
19-मानसिक तनाव – एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।
20-स्त्री गुप्त रोग – स्त्रियों के रोगों जैसे श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, प्रसवोपरांत दुर्बलता व रक्त स्त्राव आदि के लिए कलौंजी गुणकारी है। थोड़े से पुदीने की पत्तियों को दो ग्लास पानी में डाल कर उबालें, आधा चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर दिन में दो बार पियें। बैंगन, आचार, अंडा और मछली से परहेज रखें।
21-पुरूष गुप्त रोग – स्वप्नदोष, स्थंभन दोष, पुरुषहीनता आदि रोगों में एक कप सेब के रस में आधी छोटी चम्मच तेल मिला कर दिन में दो बार 21 दिन तक पियें। थोड़ा सा तेल गुप्तांग पर रोज मलें। तेज मसालेदार चीजों से परहेज करें।
22- त्वचा फंगल इनफेक्शन, एग्जीमा और हरपीज जोस्टर – गॉज को कलौंजी के तेल में भिगोकर रोग ग्रस्त त्वचा पर लगाएं और एक पॉलीथीन की एक पतली शीट से कवर करें और माइक्रोपोर प्लास्टर चिपका दें। 2 से 5 दिन में सब ठीक हो जाएगा। 1 टीस्पून कलौंजी तेल दिन में 3 बार पीने से शीघ्र लाभ होगा।
23- वायरल फीवर और कोरोना इफेक्शन – 1 टेबलस्पून कलौंजी तेल दिन में 3 बार 5-7 दिन तक पिलाएं।
“खुदा ने क्या खूब कलौंजी बनाई है। जो हर मर्ज की दवाई है।”
बड़ा चम्मच टेबलस्पून को कहते हैं।
एक टेबलस्पून = 15 एम. एल.
एक टीस्पून| = 5 एम. एल.
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जब भी हमें कुछ समझ में नहीं आता है तो हम मरीज को कलौंजी का तेल पिला देते हैं और मरीज तुरंत ठीक हो जाता है। हरपीज जोस्टर, फंगल डर्मेटाइटिस, रिंग वर्म इन्फेक्शन, वायरल बुखार आदि में
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क्या प्याज के बीजों को ही कलौंजी कहते हैं?
दोस्तों, ज्यादातर लोग प्याज के बीज को ही कलौंजी मानते हैं। मैं भी ऐसा ही समझता था, लेकिन कई सालों पहले जब मैं कलौंजी पर एक अच्छा लेख लिखना चाह रहा था, तब रिसर्च के दौरान मुझे सीहोर और भोपाल जाने का मौका मिला। वहां मैं कई दुकानों पर गया और कलौंजी के बारे में पूछताछ की तो सभी यही कह रहे थे कि यह प्याज के बीज ही होते हैं। मैं कई दुकानों से कलौंजी खरीद कर लाया। फिर मैंने यह सोचा की बीज बेचने वालों के पास चलते हैं और प्याज के बीज मांगते हैं। मैं बीज बेचने वालों दुकान पर गया और 100 ग्राम प्याज के बीज खरीद कर लाया। फिर मैंने ध्यान से प्याज के बीज और कलौंजी के बीजों का अवलोकन किया। दूर से देखने पर दोनों बीज काले और एक जैसे ही दिखाई दे रहे थे, लेकिन जब मैंने दोनों तरह के बीजों को ध्यान से देखा तो उनके रंग, उनके आकार और उनकी साइज में थोड़ा फर्क था। सबसे बढ़िया बड़ा फर्क था कलौंजी के बीजों में आने वाली एक खास तरह की गंध जो प्याज के बीज में नहीं थी। मेरे खयाल से कलौंजी के नाम से सब दूकानदार कलौंजी ही बेच रहे हैं, वह समझते यही हैं कि ये कलौंजी के बीज हैं।
अब मैं चाहता था कि दोनों के बीजों के स्पष्ट और डिटेल्ड फोटोग्राफ निकालू ताकि दोनों बीजों का फर्क स्पष्ट हो सके, लेकिन मेरे पुराने फिल्म वाले एस.एल.आर. कैमरे पुराने हो चुके थे। उनके लेंसों में फंगस लग चुका था, इसलिए मैंने एक नया डी.एस.एल.आर. कैमरा सिर्फ इसी मकसद से खरीदा था।
कलौंजी कोरोना में भी बहुत चमत्कारी साबित हुई, पढ़िए यह कहानी
दोस्तों, कलौंजी एक पावरफुल एंटीवायरल एजेंट भी है और कोरोना वायरस पर भी अच्छा काम करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है। मैंने इंटरनेट पर भी पढ़ा था कि कलौंजी का तेल कोरोना के उपचार में बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है। इसलिए मैंने एक अच्छे मित्र अमित जैन, रांची से कहा कि वह हमारे लिए कलौंजी के तेल के कैप्सूल बनाएं। हमने कोरोना के मरीजों में इन कैप्सूल्स का बहुत प्रयोग किया और अच्छे रिजल्ट मिले।
मेरे एक पुराने मरीज युवराज को कोरोना हुआ था। कोरोना ठीक होने के तीन महीने बाद उसे बुखार रहने लगा और बदन टूटने लगा। वह बहुत तनाव में आ गया और परेशान रहने लगा। उसने चेकअप करवाया, उसके सारे इन्फ्लेमेटरी पैरामीटर्स सी.आर.पी., ई.एस.आर. और डीडायमर सभी हाई थे। डॉक्टर ने उसे कहा कि उसे टी.बी. हुई है, इसलिए टी.बी की दवाइयां 9 महीने तक लेनी पड़ेगी और वह मेरे पास आया। मैंने उसकी रिपोर्ट देखी, उसको टी.बी. के कोई लक्षण नहीं थे। मैंने उससे कहा कि वह सारी एलोपैथी की दवाइयां तुरंत बंद कर दे और अलसी के तेल (2 टेबलस्पून रोज) और कलौंजी के तेल (डेढ़ टेबलस्पून रोज) का सेवन करे। वह 15 दिन बाद सारे टेस्ट करवा कर मेरे खुशी-खुशी पास आया और कहा कि सारे टेस्ट नार्मल आ गए हैं, उसे कोई बुखार नहीं है और बहुत अच्छा महसूस कर रहा है। मैंने कहा कि अभी कुछ हफ्तों तक यह तेल लेते रहो।
कलौंजी एक उत्कृष्ट एंटीफंगल उपचार
दोस्तों, एक बार की बात है, मेरे गर्दन के साइड में दो-तीन दिन से बहुत खुजली हो रही थी। एक रात तो खुजली बहुत ही ज्यादा थी और मैं खुजलाते-खुजलाते परेशान हो गया था। मैंने सोचा कि मैं कोई एंटीफंगल क्रीम लगा लेता हूं लेकिन उस दिन घर पर मुझे कोई क्रीम नहीं मिली। तो मैंने सोचा कि कलौंजी है मौत के सिवा हर बीमारी की दवा तो लगा लेते हैं कलौंजी का तेल। दोस्तों, आप यकीन नहीं करोगे कि जैसे ही मैंने गर्दन पर कलौंजी का तेल लगाया, उसके बाद मेरा हाथ खुजली करने के लिए वहां नहीं गया और दूसरे दिन शाम तक वह पूरा फंगल इन्फेक्शन पूरी तरह ठीक हो गया था।
कलौंजी हरपीज जोस्टर को चुटकियों में ठीक करे
दोस्त, एक पुरानी घटना है जब मैं ई.एस.आई. हॉस्पिटल में पोस्टेड था। हमने एक मरीज की सर्जरी की थी लेकिन ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद उसको हरपीज जोस्टर हो गया। हमने उसको हर्पेक्स क्रीम और फेमसाइक्लोविर की गोलियां दे दी थी, लेकिन उसको फायदा नहीं हो रहा था और रोज वह शिकायत करता था। तभी एक दिन मुझे ख्याल आया की कलौंजी है मौत के सिवा हर रोग की दवा और मैंने उसे कहा कि वह कलौंजी का तेल खरीद कर लाए, एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को पिए और कलौंजी का तेल स्किन पर भी लगाएं। जब मैं दूसरे दिन राउंड लेने पहुंचा तो सारे मरीज कहने लगे कि सर चमत्कार हो गया, उस मरीज की सारी तकलीफ खुजली, दर्द और जलन एक ही दिन में ठीक हो गई। यह भी एक बहुत बड़ा चमत्कार था।
कलौंजी कैंसर में भी उपयोगी
दोस्तों, कलौंजी का तेल और बीज दोनों ही कैंसर में बहुत प्रभावशाली है और इसीलिए मैं हर कैंसर मरीज को बड़विग प्रोटोकॉल के साथ कलौंजी का तेल लेने की सलाह हमेशा देता हूँ। एक विदेशी चिकित्सक मारिया हुर्रिया ने कैंसर के लिए एक प्रोटोकोलविकसित किया है जिसमें वह कलौंजी, तोरई के पत्ते, जैतून के पत्ते और एनर्जाइजिंग हनी का प्रयोग करती है।
मैंने यह लेख क्यों लिखा
दोस्तों, दिल्ली में एक एम.पी. हैं, जिनका नाम ज्योति मिर्धा है। एक बार उन्होंने मुझे बताया था की कलौंजी के बारे में कहते हैं कि यह मौत के सिवा हर बीमारी की दवा है, मोहम्मद साहब ने यह बात कही है। इसी घटना से मुझे प्रेरणा मिली और कलौंजी पर हिंदी और इंग्लिश में एक लेख लिखने की योजना बनाई।
इस लेख को लिखने के लिए मैंने पुरानी कई किताबें पढ़ी, गूगल पर भी बहुत रिसर्च की और अनेकों वीडियो भी देखें। 2-3 महीनों की रिसर्च के बाद मैंने कलौंजी पर यह लेख लिखे, जो सभी हिंदी स्वास्थ्य पत्रिकाओं में और इंग्लिश की मशहूर पत्रिका हेल्थ ऑफ इंडिया में पब्लिश हुए और बहुत सफल रहे। इस लेख को कई अनुसंधानकर्ताओं ने भी पढ़ा, जिन्होंने मुझसे संपर्क किया और दो तीन अनुसंधानकर्ता तो मुझसे मिलने कोटा की आए थे। मैंने कलौंजी पर बहुत प्रयोग किए और लगभग हर बार अच्छे रिजल्ट मिले। कोरोना के मरीजों को भी कलौंजी ने बहुत राहत पहुँचाई। हमने कलौंजी के केप्सूल भी बनवाए थे और रोगियों को निशुल्क वितरित किए।
चमत्कारी कलौंजी
मेरे प्यारे दोस्तों,
कल 17-10-21 संडे 4:00 बजे हमने जूम एप पर एक छोटा सा वेबीनार रखा है, जिस का विषय है चमत्कारी कलौंजी। मैं चाहता हूं कि आप सिर्फ 15 मिनट का समय निकालकर इस वेबीनार को ज्वाइन करें और मेरा हौसला बढ़ाएं। इस वेबीनार में कलौंजी के चमत्कारों पर चर्चा होगी, साथ ही बहुत सारी बातें होंगी, जो आपने पहले नहीं सुनी होगी। यह छोटा सा काला सा बीज मौत के सिवा हर बीमारी की दवा है, ऐसा मोहम्मद रसूल भी कहते थे। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं क्योंकि मैंने कलौंजी के बहुत से चमत्कार देखे हैं। जब भी मुझे लगता है कि किसी मरीज पर दवाइयां काम नहीं कर रही हैं तो मैं कलौंजी का प्रयोग कर लेता हूं और हर बार मरीज को चमत्कारी फायदा मिल जाता है।
एक बार मेरी भतीजी पारुल ने कहा कि अंकल जी मुझे पीठ पर कीड़े ने काट लिया है लेकिन उसे हरपीज जोस्टर नामक बीमारी हुई थी। इस बीमारी में बहुत असहनीय दर्द होता है अमूमन पीठ पर लाल दाने हो जाते हैं और एलोपैथी की दवाइयां लेने के बावजूद कई दिनों तक दर्द और दानों में फायदा नहीं होता है। इसलिए मैंने एलोपैथिक दवाइयां देना उचित नहीं समझा और उसकी पीठ पर कलौंजी का तेल लगाकर ड्रेसिंग कर दी और कलौंजी का तेल पीने की भी सलाह दी। दोस्तों, पारुल का दर्द एक ही दिन में ठीक हो गया और दाने भी 3-4 दिन में साफ हो गए थे। मैं चाहता हूं कि पारुल भी इस वेबीनार में आए और कलौंजी पर अपने अनुभव शेयर करें।