दोस्तों मैं किसी पहचान का नहीं हूं मोहताज
मेरा नाम गेहूँ है, मैं भोजन का हूँ सरताज
अडानी, अंबानी को रखता हूँ मुट्ठी में
टाटा, बिरला दौड़े आते हैं इक चिट्ठी में
आधी दुनिया का मैं ही मात्र निवाला हूँ
रागी, अरहर, मूंग, मसूर का घरवाला हूँ
क्या बाजरा, क्या चावल व मक्का क्या रागी
चने, मूंग, ज्वार, क्या जौ, मैं सब पर हूँ भारी
मैं पेशावर की नान, मिलानो का पीज्जा हूँ
मुंबई का रगड़ा पाव, काहिरा का ख़ुबजा हूँ
पेस्ट्री हूँ, कुकी, केक, ब्रेड और मैं ही पाव हूँ
घी में तलो, चाशनी में मिला दो, तो जलेबी हूँ
गुलाब जामुन हूँ, लड्डू हूँ, सूडान का बसबोसा हूँ
किसी से भी पूछ लो, पूरी दुनिया का नवाब हूँ
भले सेहत की दृष्टि से, विटामिन मिनरल में जीरो हूँ
पर बेकरी और हलवाइयों के लिए तो हीरो हूँ
जनेटिकली मोडीफाइड हूँ, खलनायक हूँ, गोरा हूँ
लजीज हूँ और पूरी बिरादरी का अजीज हूँ
विटामिन को अलग बेचूँ फाइबर दूं पेटसफा को
दे दूँ बचा हुआ कचरा मॉल के मालिकों को
हार्ट को ब्लॉक कर दूँ, डायबिटीज को कर दूँ स्टार्ट
आलिया भट्ट को फुलाकर भारती बना दूँ स्मार्ट
जोड़ों को जाम कर दूँ, डिप्रेशन की भी शुरूआत
चुटकियों में लोगों का पेट खराब कर दूँ रातों रात
गरीब की सेहत को पल भर में बदहाल कर दूँ
अच्छे अच्छों को दो मिनट में बीमार कर दूँ
चाहे रोम हो या पेरिस, मेरा हर जगह बजता है डंका
दिल्ली हो, कराची हो, लंदन हो या ढाका
लोगों की सेहत पर भी डाल देता हूँ डाका
मुझसे डरते हैं सारे जग के ताऊ और काका

लेखक डॉ. ओ.पी.वर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *