सेहत का बिग ब्रदर - अनन्नास

अनन्नास एक उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है। ब्रोमेलियासीइ परिवार का यह फल आज सर्वव्याप्त, रसीला, जोशीला और स्वादिष्ट फल है। इस फल का वानस्पतिक नाम अनानास कोमोसस है। इसका अनोखा मीठा और खट्टा स्वाद सबको अच्छा लगता है। वैसे तो इसका मौसम मार्च से जून तक रहता है, लेकिन बाजारों में यह पूरे साल उपलब्ध हो जाता है। अनन्नास का ज्यूस शौक से पीया जाता है। साथ ही इसको ताजा काट कर खाया जाता है और खाने के बाद सलाद के रूप में या फ्रूट-कॉकटेल के रूप में प्रयोग भी किया जाता है। 

अनन्नास पाचक तत्वों से भरपूर, शरीर को ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमि नाशक और स्फूर्तिदायक फल है| ये त्वचा में निखार लाता है| गर्मी में यह ताजगी व ठंडक देता है| अनन्नास के रस में प्रोटीन को पचाने की अपार क्षमता है| यह आँतों को सशक्त बनाता है|

हालांकि तकनीकी दृष्टि से यह अनेक छोटे-छोटे फलों से मिल अपना आकार प्राप्त करता है। इसकी सतह पर ये छोटे फल आँख की तरह दिखाई देते हैं। यह एक बड़ा और बेलनाकार फल है, जिसकी बाहरी खुरदरी और छिलकेदार सतह हरे, भूरे या पीले रंग की होती है। सिर पर नीली हरी मांसल पत्तियों का ताज पहने सबको आकर्षित करता है। इसका नीचे का आधार अपेक्षाकृत अधिक मीठा और कोमल होता है। 

इतिहास 

 दोस्तो, नाम पर मत जाइये, सच्चाई यही है कि न ये पाइन है, न ये एप्पल है और न ही इसकी उत्पत्ति हवाई द्वीप से हुई है। यह अलग बात है कि अनन्नास का व्यवसायिक उत्पादन हवाई द्वीप में ही शुरू हुआ, और आज इसे हम हवाई द्वीप के विषेश फल के रूप में जानते हैं। लेकिन इसकी उत्पत्ति दक्षिणी अमेरिका में हुई है। पाइन कोन जैसा दिखने के कारण इसका नाम पाइनएप्पल रखा गया। पाइनएप्पल शब्द अंग्रेजी में 1664 से पहले कभी प्रयोग नहीं लिया गया। 

इसकी खोज का श्रेय क्रिस्टोफर कोलम्बस को दिया जाता है, जिन्होंने 1493 में इसे गॉडेलूप द्वीप में खोजा, हालाँकि दक्षिणी अमेरिका में लम्बे समय से इसकी खेती की जा रही थी। कोलम्बस ने इसको “piña de Indes” अर्थात “इंडियन्स का पाइन” नाम से पुकारा। दक्षिणी अमेरिका के गॉरानी इंडियन्स ने इसे खाने के लिए पैदा करते थे। वे इसे nanã अर्थात उत्कृष्ट फल कहते थे।  1519 में एक अन्य खोजकर्ता मेगेलान ने ब्राजील में पाइनएप्पल का की खोज की थी और 1555 से इस रसीले फल को बड़े चाव से निर्यात करके इंगलैंड भेजा जाने लगा। और जल्दी ही यह फल हिन्दुस्तान, एशिया और वेस्ट इंडीज में भी प्रचलित हो गया। सन् 1751 में जब जॉर्ज वाशिंगटन ने बरबाडोस में पहली बार पाइनएप्पल खाया तो उन्हें यह इतना पसन्द आया कि इसे पसन्दीदा उष्णकटिबन्धीय फल घोषित कर दिया। 

सन् 1770 में केप्टन जेम्स कुक ने हवाई द्वीप में अनानास की खेती शुरू की, लेकिन इसका व्यवसायिक उत्पादन 1880 से शुरू हुआ, जब समुद्री जहाज के आने से इसका निर्यात आसानी से होने लगा था। सन् 1903 में जेम्स ड्रमॉन्ड डोले ने अनानास का डिब्बों में बंद करके पूरे विश्व में इसको भेजना शुरू किया था। इसका छिलका निकालने और काटने की नई स्वचालित मशीनें आने के बाद इसका निर्यात दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा। इस तरह देखते देखते डोल हवाईयन पाइनएप्पल कंपनी हवाई की सबसे बड़ी खाद्य उद्योग बन गई। आज भी विश्व का 10 प्रतिशत अनानास हवाई में ही पैदा होता है। मेक्सिको, होन्ड्युरस, थाईलेंड, चीन, डोमिनियन रिपब्लिक, फिलिपीन्स, कोस्टा रिका और एशिया अनानास के बड़े उत्पादक देश हैं। 

 अनन्नास – पोषक तत्वों का उपवन 

 अनन्नास में पोषक तत्वों और एंजाइम्स का एक जटिल मिश्रण होता है जिसे ब्रोमीलेन कहते हैं। यह इसके फल और तने में व्याप्त रहता है। इसमें प्रमुख तत्व प्रोटीन को पचाने वाले कई शक्तिशाली एंजाइम्स (जैसे सिस्टीन प्रोटीनेजेज इत्यादि) होते हैं। साथ ही ब्रोमीलेन में कई प्रदाहरोधी, कैंसररोधी और रक्त को पतला रखने वाले प्रभावशाली तत्व होते हैं।

इसमें भरपूर विटामिन सी होता है, जो एक घुलनशील एंटीऑक्सीडेंट है और मुक्त-मूलकों के आतंक से हमारी रक्षा करता है। और रक्षातंत्र को मजबूत बनाता है। इस तरह अनन्नास डायबिटीज, अस्थमा, हृदयरोग और कैंसर में बहुत हितकारी माना गया है। 

मात्र एक कप अनन्नास से हमें ढेर सारा मेंगनीज ( 125% DV) मिल जाता है, जो कोशिका में ऊर्जा-उत्पादन और रक्षातंत्र के कई एंजाइम्स के सहायक की तरह कार्य करता है। उदाहरण के लिए सुपर ऑक्साइड डिसम्युटेज माइटोकोंड्रिया (कोशिका की ऊर्जा-उत्पादक इकाइयां) में मुक्त-मूलकों का सफाया करता है। इसमें पर्याप्त थायमीन (विटामिन बी-1) भी होता है जो ऊर्जा उत्पादन में कई तरह से मदद करता है। इसे मीट को मेरीनेड करने के काम में भी लिया जाता है। कैंसर के विख्यात वैकल्पिक बुडविग उपचार में अनन्नास का भरपूर उपयोग किया गया है। 

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