यह कविता मैंने पिछले 2019 के जनरल इलेक्शन के समय लिखी थी। इसमें एक लाइन है मंदिर बनवाता है मोदी, इसलिए कल मुझे इस कविता की याद आई क्योंकि कल मोदी जी ने मंदिर का शिलान्यास रखकर मेरी कविता को सार्थक बना दिया, हर हर मोदी घर घर मोदी…. इसके आखिरी दो दोहे मैंने यू.पी. में मोदी की धुंआधार विजय के समय लिखे थे।
काशी से काबा तक मोदी, दिलवाला मतवाला मोदी
जन जन को है भाया मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
भारत का सिरमोर है मोदी, कद में सबसे ऊँचा मोदी
भ्रष्टाचार मिटाता मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
महिलाओं का रक्षक मोदी, निर्धन का उपकारक मोदी
रोजगार दिलवाता मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
सीमा का रखवाला मोदी, दुष्मन को ललकारे मोदी
आतंकी को मारे मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
नमो नमो का गुंजन मोदी, मातृभूमि का चुम्बन मोदी
लोगों का दुखभंजक मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
है विकास का नायक मोदी, भारत को चमकाता मोदी
धन दौलत की वर्षा मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
काला चश्मा पहने मोदी, है टोपी में जंचता मोदी
सबके भाता हंसता मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
भारत भाग्य विधाता मोदी, वंदे मातरम् गाता मोदी
मंदिर बनवाता है मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
मुस्लिम की रग रग में मोदी, यू पी के हर घर में मोदी
सिक्खों का हमदर्द है मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी
हर हिंदू के दिल में मोदी, क्रिश्चियन के संग नाचे मोदी
यू पी का बिग बोस है मोदी, हर हर मोदी घर घर मोदी ।