वर्तमान युग में अधिकांश बीमारियां रिफाइंड आईल या वनस्पति घी की वजह से हो रही हैं। बाजार में कोई भी तेल पूरी तरह शुद्ध नहीं मिलता। रिफाइन्ड आईल या वनस्पति बनाने के लिए तेलों को बहुत हाई टेंप्रेचर पर गर्म किया जाता है, जिससे तेलों में विद्यमान सारे प्राकृतिक पोषक तत्व, फैट सोल्यूबल विटामिन्स और ऊर्जावान तथा उपचारक इलेक्ट्रोन्स नष्ट हो जाते हैं और बचता है ट्रांस फैट से भरपूर न्यूट्रीशनलेस प्लास्टिक फैट जो हमें सिर्फ बीमार कर सकता है।
इन तेलों में आर्जीमोन, पाम आदि के तेल की मिलावट होती है। एक बार मुझे एक ऑयल मिल ऑनर ने कहा था कि अगर आप हमारी मिलों में तेल बनता हुआ देख लो तो जीवन में कभी तेल नहीं खा सकते। तेल कंपनियों ने 40 प्रतिशत मिलावट करने की छूट तो सरकार से ले रखी है और 20-25 प्रतिशत मिलावटअपनी तरफ से कर देते हैं ताकि भरपूर मुनाफा कमाया जा सके। इन्हें आपके स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है।
रिफाइंड तेल और वनस्पति घी के प्रचलन के बाद लोग बीमार होने लगे थे। कारण था फैट सोल्यूबल विटामिन्स तथा अन्य पोशक तत्वों की कमी हो जाना। विदित रहे है कि विटामिन ए, ई, डी और के फैट सोल्यूबल विटामिन हैं और हमें फैंट्स से ही प्राप्त होते हैं। इसलिए सरकार ने तेल निर्माताओं को तेल में मिटामिन डी और ई मिलाने के आदेश दिए। तब जाकर इन्होंने तेलों में सिंथेटिक विटामिन ई और डी मिलाना शुरू किया और शान से अपने उत्पादों पर “विटामिन ई और डी से युक्त” लिखने लगे, जैसे उपभोक्ताओं पर अहसान कर रहे हों।
प्राचीन काल में हमारे पूर्वज घानी से निकला शुद्ध तेल और देसी गाय के घी का सेवन कर निरोग रहते थे। बड़ी-बड़ी आईल मिलों ने तेलघानियों का नामोनिशान मिटा दिया। इन तेल निर्माताओं से हम कभी उम्मीद नहीं कर सकते कि ये हमें शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद तेल उपलब्ध करवा सकते हैं।
आखिर शुद्ध तेल मिले तो मिले कैसे। लेकिन टेक्नोलॉजी ने यह संभव कर दिखाया है। घरेलू आटा चक्की की तरह घरेलू ऑयल एक्सपेलर को अपना कर हम अपने परिवार को निरोग रख सकते हैं।
आजकल बहुत कम दाम पर स्टेनलेस स्टील से बनी छोटी सी ऑयल एक्सपेलर मशीन उपलब्ध है। इसमे 600 वाट की मोटर है, इलेक्ट्रोनिक थर्मोस्टेट है और इसे 6 घंटे तक लगातार चला सकते हैं। मशीन बहुत कम आवाज करती है और स्मूथ चलती है। यह मशीन 25-30 मिनट में एक लीटर तेल निकाल देती है। इससे तेल निकालना भी आसान है और इसकी सफाई और रख-रखाव चुटकियों में हो जाता है। इससे आप तिल, सरसों, अलसी, बादाम, नारियल आदि का तेल निकाल सकते हैं। इस मशीन से तेल भी पर्याप्त निकलता है और बची हुई खल भी घर में काम आ जाती है या आप गाय को खिला दें।
जब आप घर पर डोमेस्टिक एक्सपेलर से निकले तेल से बना खाना खाएंगे तब आपको पता चलेगा कि अब तक आप क्या कचरा खा रहे थे। आपके समझ में आ चुका होगा कि टी.वी. पर दिखाए जाने वाले तेलों के सारे लुभावने और मनभावन विज्ञापन बेमानी हैं झूंठे हैं। घर पर निकले सरसों के तेल में तली पूरियां भी ऐसी लगती हैं जैसे देसी घी में तली गई हों।
आजकल अपने मनोरंजन और सुख-सुविधा के लिए हम मंहगी-मंहगी चीजें खरीदते हैं। सवा लाख का आईफोन हम चुटकियों में खरीद लेते हैं। तो क्या हम एक छोटी सी ऑयल एक्सपेलर नहीं खरीद सकते, फिर यह तो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा अहम मसला है। इसे हम अपने किचन काउंटर पर रख सकते हैं। तो मित्रों आज ही इस ऑयल एक्सपेलर को खरीदने का मन बनाइये और अपने परिवार को स्वस्थ्य बनाइए।
Hi
आपकी मशीन शानदार काम कर रही है। इससे निकले तेल नेचुरल, स्वादिष्ठ और बढ़िया हैं। सरसों के तेल में बनी पूरीयाँ ऐसी लग रही हैं जैसे देसी घी में बनी हो। इस मशीन ने हमारा जीवन बदल दिया है। अब समझ में आया कि अभी तक हम तेल नहीं कचरा खा रहे थे। यह मशीन हर घर में होनी चाहिए। नरेंद्र