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Name: Dr. O.P.Verma

Father’s name: Mr. P.L.Verma

Date of birth: October 10, 1950

Organizations:  
1- Budwig Wellness and
2- Flax Awareness Society
Email: dropvermaji@gmail.com

Website: https://goBudwig.com

Qualification: 
Secondary School Examination – 6th Rank in Rajasthan Board in 1966
Higher Secondary School Examination – 2nd Rank in Rajasthan Board in 1967 and received Silver Medal Award from Rajasthan Board in 1967
M.B.B.S. from R.N.T. Medical College Udaipur in 1973
M.R.S.H. (London) from Oxford University 1984
President Scout Award in 1968

Jobs done: 
1- Govt. Medical Officer in Atone and E.S.I. Dispensary No. 3 Kota 1976 to 1981
2- Medical Suprintendent in Tahala Libya from 1981 to 1993
Senior Medical Officer E.S.I. Hospital Kota 1998 to 2010

Research and Publication Work: 
Flax Guru – Research on health benefits of Flax Seeds, wrote many articles, and books on different health topics e.g. Alsi Mahima, Awesome Flax, Secrets of Success etc. and
conducted many Flax Awareness Seminars and workshops (अलसी चेतना यात्राएं)
Budwig Wellness (Alternative Healing Protocol for Cancer and other diseases) – Research and treating patients worldwide, wrote many Bestseller books on cancer

Books written:
Cancer – Cause And Cure,
Budwig Protocol,
Leukemia Next Level,
Liver Cancer Simple approach,
Lymphoma Unlocked,
Myeloma New Horizon,
Understanding Breast Cancer,
Essentials of Lung Cancer,
Budwig Cancer Upchar,
Cancer Cure is found etc.

Facebook Groups: 
Budwig Protocol – https://www.facebook.com/groups/budwig
Saurkraut – https://www.facebook.com/groups/485305288327336
Vitamin B-17 Cancer Therapy – https://www.facebook.com/groups/755439328161181

Youtube Channel: Budwig Wellness over 100 videos 

This Silver Medal is the biggest achievement of my life. The credit goes to  our Principal Bharat Bhushan Gupta and my lovely father Prabhu Lal Verma

1967 हायर सेकंडरी का एग्जाम देने के बाद मुझे लग रहा था कि एग्जामिनर मेरी हैंड राइटिंग ठीक से पढ़ नहीं पाएगा, तो फिर नंबर भी कैसे देगा। इसलिए टेंशन भी था और दिल धक-धक कर रहा था। क्योंकि हमें सब आता था, इसलिए हम जल्दी-जल्दी लिखते रहे, लिखते रहे और हैंड राइटिंग बिगड़ती गई। उधर स्कूल के प्रिंसिपल साहब भारत भूषण जी गुप्ता (जो मुझे महाराज कहते थे) और घर के प्रिसिपल साहब यानी मेरे पिता श्री प्रभुलाल जी दोनों मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे कि मेरे फर्स्ट रैंक आए, करते भी क्यों नहीं, उन्होंने भी हमारे लिए किया भी बहुत कुछ था, कई तरह से प्रोत्साहन भी दिया। वो सचमुच बहुत अच्छे टीचर और प्रिसिपल थे। इसीलिए उन दिनों हमारा मल्टी परपज़ हायर सेकंडरी स्कूल गुमानपुरा कोटा पूरे राजस्थान में फर्स्ट आया था। विदित रहे यह सरकारी स्कूल था।

पिछले साल जब सेकंडरी की बोर्ड परीक्षा में हमारे छठवीं रैंक आई तो भारत भूषण जी ने मुझे ऑफिस में बुलाया, हम डरते  डरते गए। उन्होंने हमें कहा कि मैं लाइब्रेरी में जाऊँ और लाइब्रेरी में जो भी बुक्स मुझे पसंद आए मैं लाइब्रेरियन को बता दूँ। वो मुझे इश्यु कर देगा और एक अलमारी में रख कर चाबी मुझे दे देगा। बस मैं लाइब्रेरी गया और एक बड़ी अलमारी भर कर करीबन 300 किताबें मुझे साल भर के लिए इश्यु कर दी गई। श्री भारत भूषण जी के ऐसे ही निराले काम होते थे। 

अब आप बताओ मेथ्स वाले स्टूडेंट को तो मेथ्स में 100 में से 100 मिल सकते हैं पर बायो में तो 100 में से 100 नहीं मिल सकते हैं  ना। खैर, रिजल्ट आया और पूरे राजस्थान में हमारे सेकंड रैंक आई, सबने बधाइयां दी, स्कूल की मेगजीन में फोटो छपा, अखबार में फोटो छपा। स्कूल के प्रेयर हॉल में टंगे मेरिट बोर्ड पर हमारा नाम लिखवाया गया। फिर 6 महीने बाद राजस्थान बोर्ड ने हमें लेटर लिख कर  मेडल देने के लिए हमें अजमेर बुलाया और चांस की बात देखिए कि श्री वो मेडल मुझे भारत भूषण गुप्ता साहब ने ही अपने हाथों से पहनाया और गले लगाकर आशीर्वाद दिया (क्योंकि तब वे राजस्थान बोर्ड के सेक्रेट्री बन चुके थे। मेडल लेने के बाद हमने अजमेर के  ही अजंता स्टूडियों में कोट पर मेडल लगाकर फोटो खिंचवाया (जो मैं संलग्न कर रहा हूँ)। फोटो खिंचवाने के बाद हमने अजंता टॉकीज में देवआनंद की ज्वेल थीफ पिक्चर देखी और दूसरे दिन कोटा रवाना हो गए।

कई बार लोग मुझसे मिलने, मेरी एक झलक पाने या परिचय करने के लिए आते थे और मिलकर गर्व महसूस करते थे। मैं भी गौरवान्वित महसूस करता था। मेरे लिए यह सब बहुत फक्र की बात थी। इस मेडल को प्राप्त करने के उपलक्ष में ईनाम स्वरूप 5 साल तक 100 रुपये महीने नेशनल स्कॉलरशिप और 30 रुपया महीने राजस्थान बोर्ड से 3 साल तक स्कॉलरशिप प्राप्त हुई। उस वक्त यह बहुत पैसे  हुआ करते थे, इतनी तो उन दिनों शायद एक टीचर की तनख्वाह हुआ करती थी। लेकिन हमारे पिताजी ने इस पैसे का हिसाब हमसे कभी भी हमसे नहीं पूछा (जबकि हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी) और इस पैसे से हमने बड़े ऐश किए। यह कहानी आप अपने बच्चों को जरूर पढ़वाइए। उन्हें प्रेरणा मिलेगी।

My Silver Medal - Pride of my Life

Books written by me

Online Consultation on Zoom

R.N.T. Medical College Udaipur

Govt. Hospital Libya

Oxford University

My weakness

         My father was a great teacher, great musician, great singer, great dance director, and great artist. But I am very unlucky that due to my shy nature, I could not
         learn singing, playing music instruments, dancing etc. from him. I could only learnt Mathematics from him. Alas, I could go back into the past and learn all these
         arts from him, But time never goes back.  गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दुबारा….

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