लानी माके को पेनक्रियेटिव कैंसर में मिला चमत्कारी लाभ

दोस्तों, हमारे फेसबुक पर हमारे बडविग प्रोटोकॉल ग्रुप में चमत्कार तो रोज ही होते हैं। 6 जनवरी को किसी ने पूछा था कि क्या कोई पेनक्रिएटिक कैंसर का मरीज बडविग प्रोटोकॉल ले रहा है, तो सिंगापुर के लानी माके ने बताया कि उन्हें मई, 2018 में मुझे पेनक्रिएटिक कैंसर स्टेज-4 डायग्नोस हुआ। मेरे लीवर, एल-3 स्पाइन, लीवर और लिम्फ नेड्स में मेटास्टेसिस थे और डॉक्टर ने कहा मैं मुश्किल से 3 महीने जी पाऊंगा। लेकिन ईश्वर का शुक्र है कि मैंने बडविग प्रोटोकॉल उपचार शुरू लिया और आज मैं पूरी तरह स्वस्थ और सामान्य जीवन बिता रहा हूं। मैं अपनी जॉब कर रहा हूं।  ईश्वर का आशीर्वाद है कि इस ग्रुप में हर दिन चमत्कार होते हैं। 

Lani Maque’s origional post in https://www.facebook.com/groups/budwig
I have pancreatic cancer- stage 4 ( mets to liver, L3 Lumbar, lungs and lymph node ) diagnosed May 2018, Given 3 months to live .
With God’s help I’m still thriving.
Budwig Protocol is one of my major protocol and helps me in my survival.
At the moment, I’m stable and living a normal life
I’m working and based in Singapore.
God bless, miracles happen every day.

अक्षय के पिता को प्रोस्टेट कैंसर में बडविग प्रोटोकोल से मिला अविश्वसनीय फायदा

यह सक्सेस स्टोरी अक्षय ने भेजी है। इनके पिता को प्रोस्टेट का कैंसर था, हाइड्रोनेफ्रोसिस के कारण किडनी फैलियर भी था। दिनांक 11-12-2000 को इनका पीएसए लेवल 88 और क्रिएटिनिन 2.98 था, फिर डॉक्टर ने इनको तुरंत कीमो और रेडिएशन उपचार लेने की सलाह दी लेकिन लेकिन इन्होंने कीमो को लेना उचित नहीं समझा बल्कि बडविग प्रोटोकोल लेना चाहा और मुझसे संपर्क किया। इनके पिता ने मेरे निर्देशानुसार बडविग उपचार लिया। इन्होंने रोज दो बार ओम खंड, फ्रूट और वेजिटेबल जूसेज, सन बाथ, फ्लैक्स सीड ऑयल एनीमा, डेंडेलियन, एसियक टी, कलौंजी तेल, ब्राजील नट आदि सभी उपचार श्रद्धापूर्वक लिए। इसका नतीजा यह है कि इनके बहुत फायदा हुआ और दिनांक 24-1-2021 को यानी डेढ़ महीने बाद इनका पी.एस.ए. लेवल 88 से घटकर 28 रह गया और क्रिएटिनीन 0.9 यानी बिल्कुल नॉर्मल हो गया। यह तो बहुत बड़ा चमत्कार है  इनके पिता ने बडविग के अलावा कोई उपचार नहीं लिया। अक्षय बहुत खुश और उत्साहित है और मुझे धन्यवाद दे रहा है।
इस चमत्कार में सबसे बड़ा योगदान अक्षय का है जिन्होंने अपने सारे काम छोड़ कर पिता की श्रवण कुमार की तरह सेवा की और पूरे विश्वास के साथ अपने पिता को बडविग प्रोटोकोल दिया। ये बधाई के पात्र हैं। हैट्स ऑफ टू अक्षय

Origional msg from Akshay posted on our FB group https://www.facebook.com/groups/budwig

Success story by Dr budwig protocol

Patient details:-
Age 54
11/12/2020
Prostate carcinoma PSA :- 88
Hydronefrosis creatinine :- 2.98
24/01/2021
Prostate carcinoma PSA :- 28.45
Hydronefrosis creatinine :- 0.90
This is a win story over a situation where doctors were recommending to do immediate chemo and radiation session.
But we declined the treatment plan start following Dr Johanna budwig protocol.
We started this protocol under the guidance of Dr O.P Verma with all recommended suppliments and Budwig museli.
We followed each and every parameters (sun bath, Flax seed oil enema, fruit and vegetable juices etc ) and yes the result is here.
We are very thankful to Dr O.P verma and every member of budwig group. Through which it become so easy to handle the situation.
Psa came down within a month from 88 to 28. We were not using any ADT treatment. Purely on Budwig protocol and suppliments. 
 

Success testimonial in Prostate Cancer

Dated 16 Aug 2021
Since 2018 we were fighting off with my father’s prostate cancer of grade 3 with a Gleason score of 8 and having a PSA range of 100.
It took a lot from us when we get to know about my father’s disease, we face depression, anxiety, and loss of general interest in everything. But this situation doesn’t last long. This is a life-changing experience for my family
Finally, I found a miracle cancer protocol developed by Dr. Johana Budwig in 2019 but was not fully confident to start. I would like to thanks, Dr. O.P. Verma. He gave us a lot of support and knowledge sharing. His guidance plays a major role in our success and to follow the original Budwig Protocol.
We started a strict Protocol back in 2020 and the results started coming with a few weeks. After starting the Budwig protocol my father started feeling better within a month and his energy levels go up. His symptoms also improved within few months.
Today we have received his latest blood reports where his PSA drops from 88 to 0.351 within 9 months. I would like to thanks Dr. Johanna Budwig and Dr. O.P.Verma for giving us such a wonderful natural approach to healing.
Thanks, to everyone in our group (https://www.facebook.com/groups/budwig) for sharing their knowledge and contribution. Keep fighting, the success is waiting for us 🙏🙏
– Akshay Anand
Today Noli Ignacio also speaks the following in the comment section.
Congratulations to your Dad. Keep it up. Was a stage 4 w / Gleason 8 four years ago & w/ a change in lifestyle, proper food, regular exercise am still around.

– Om Verma 

Akshay Anand

Nilay Kahraman Öztürk

“Hi Dr. Verma, how are you? It’s been long time, I just wanted to ask you something, my mother’s tumors in her liver and brain are gone, her tumor in her lung (primary tumor) has even stopped growing but there’s been progression in her bones, I don’t understand why it is happening, do you have any idea and is there anything we can do about it? Thank you!”

Nilay Kahraman Öztürk 

Date 18 Aug 2021

आज का टेस्टीमोनियल तुर्की से आया है…

Today my Turkish friend Dr. Nilay Kahraman send me this.

दोस्तों, आज मेरी एक टर्किश मित्र डॉ. नीले ओशतुर्क ने यह मेसेज भेजा है। उसकी मां को स्टेज 4 ब्रेस्ट कैंसर है और कई महीनों से मेरे दिशा-निर्देश में बडविग प्रोटोकोल ले रही है। उसकी मां के ब्रेन और लीवर में कैंसर साफ हो चुका है। लंग में भी फायदा हुआ है। लेकिन हड्डियों में कैंसर अभी बढ़ रहा है। उसकी हडिडियों में तकलीफ भी बहुत ज्यादा थी। नीले अपनी मां का उपचार बहुत संजीदगी से कर रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि जल्दी ही उसकी मां कैंसर-मुक्त हो जाएगी। – ओम   

Miracle in Lung Cancer

Budwig’s Great Testimonials of LUNG CANCER on my group in 2020 …

Rod Holmgren (is very active member of my group) suffers from stage 4 Lung Cancer. He didn’t take chemo and radiotherapy. He is  on Budwig 5 years ❤️❤️ and is very well and Eva Stuart’s husband is also on Budwig 2+ years and is very well ❤️ This was posted on my Budwig group in 2020.

Nedumaran Cancer Patient from Chennai 

Dear Dr Verma,

This is Nedumaran, as of yesterday I have completed 3 months on the budwig diet. Feeling quite normal. I have gained 5 kg. My haemoglobin levels have gone up. My sugar levels were at 6.7 HbA1c.

I have started essiac tea from yesterday, did not want the effect to clutter the Budwig diet.

I have started on my walking two days back. I should be starting on excercises after two weeks. Any advice from your side.

EFT and sunbathing is continuing, though it has been raining so of and on only.
Nedu***, Chennai

https://www.facebook.com/groups/budwig

हमारे बडविग ग्रुप की स्टार ल्युसी बोइस की विजय गाथा

ल्युसी बोइस को दाहिने ब्रेस्ट में एक बड़ा (8.5 cm) ट्यूमर हुआ। उसने उपचार के लिए एसियक चाय, बडविग प्रोटोकोल, जैविक आहार, कॉफी एनीमाज़ इत्यादि को अपनी जीवनशैली में शामिल किया। उसने स्वस्थ जीवनशैली को शिद्दत से अपनाया। इसी का नतीज़ा है कि आज वह अपने ब्रेस्ट कैंसर पर विजय प्राप्त कर पाई है। सितंबर, 2016 में हुए डॉपलर अल्ट्रासाउंड में कैंसर डिटेक्ट नहीं हो पाया और ट्यूमर मार्कर्स भी गिरकर सामान्य सीमा में आ गए। कैंसर के अवशेष अब सिर्फ निपल में पेजेट्स रोग के रूप में हैं। उपचार यात्रा कठिन थी और यहाँ पहुँचने में उसे ढाई वर्ष लगे।
बहादुर ल्युसी ने कभी कीमो, रेडियो और सर्जरी नहीं करवाई। उसे पूरा विश्वास था कि जीसस उसकी प्रार्थना को कभी अस्वीकार नहीं करेगा। उसे पूरा भरोसा था कि इस कायनात को बनाने वाला और उसे पैदा करने वाला उसे बहुत प्यार करता है। उसे लगता है कि लालच और भ्रष्टाचार के कारण आधुनिक चिकित्सा जगत कैंसर रोगियों का सही उपचार नहीं कर रहा है। उनकी इस दिशाहीनता से निश्चित तौर पर ईश्वर इससे नाराज़ है। लेकिन सही दिशा में काम करने वाले वैकल्पिक चिकित्सकों और कैंसर सर्वाइवर्स की फौज कैंसर उपचार में एक बड़ा बदलाव लाकर रहेगी और चिकित्सा जगत को लालच छोड़कर मानव हितों के लिए वचनबद्ध होना पड़ेगा। अब मुझे जीने का सबब मिल गया है। कैंसर उपचार मेरे लिए एक मिशन है।
ल्युसी बोइस
(यह टिप्पणि हमारे फेसबुक ग्रुप बडविग प्रोटोकोल पर ल्युसी बोइस द्वारा 15 दिसंबर, 2016 को पोस्ट की गई) https://www.facebook.com/groups/budwig

दिलीप कुमार – बडविग से एक महीने में बड़ा फायदा

दोस्तों, दिलीप कुमार कोटा स्टेशन की रेल्वे कोलोनी में रहते हैं। इनके एक साल का बेटा है। पिता रेल्वे से रिटायर्ड हैं। इन्हें जनवरी 2017 में दाएं जबड़े में कैंसर हुआ। डॉक्टर्स ने सर्जरी करने की बात कही, पर साथ ही यह भी कहा कि रिस्क बहुत ज्यादा है कुछ भी हो सकता है। पूरा परिवार डरा और सहमा हुआ था। तभी दिलीप कुमार के भांजे ने गूगल पर बडविग प्रोटोकोल और मेरे बारे में पढ़ा और परिवार को बताया। काफी सोच समझकर इन्होंने निर्णय लिया कि अंग्रेजी इलाज नहीं लेगे और बडविग उपचार ही करेंगे और 11 फरवरी को दिलिप और उनके पिता धनराज मेरे पास आए। मैंने इन्हें सांत्वना दी और बडविग प्रोटोकोल पूरी तरह सिखाया और उपचार सामग्री दी। घाव से पस बहुत निकल रहाथा। मैंने घाव पर दिन में कई बार टिंचर आयोडीन लगाने की सलाह दी। 5-7 दिन में ही पस आना बंद हो गया। आज 10 मार्च को एक महीने बाद चेहरे की सूजन और दर्द ठीक हो चुका है। दिलीप का एनर्जी लेवल बहुत अच्छा है। आप वीडियो देख कर सब समझ जाएंगे। हमेशा की तरह आज भी बडविग प्रोटोकोल चमत्कार कर गया…

एक महीने में भोजन नली के कैंसर कैंसर में जादुई परिणाम

Patient is taking Budwig Protocol since a month. He had difficulty in swallowing solid foods, had vomiting, abdominal pain, body pains and weakness. Now he feels much better, eats very comfortably, vomiting stopped, tumor shrinks and lot of relief in pain. He takes Oil-Protein Muesli twice, Juices, coffee enemas, soda bicarb bath. He also takes Essiac tea at bed time and says good bye to cancer.

चेन्नई के नेदुमारन को मिला चमत्कारी लाभ

Dear Dr. Verma, this is Nedumaran, after meeting you personally at Kota Rajasthan, I   started  Budwig Protocol immediately.   Yesterday I have completed 3 months on the Budwig diet. Feeling quite normal. I have gained 5 kg. My hemoglobin levels have gone up. My sugar levels were at 6.7 HbA1c. I have started essiac tea from yesterday, did not want the effect to clutter the Budwig diet.

I have started on my walking two days back. I should be starting on exercises after two weeks. Any advice from your side. EFT and sunbathing are continuing, though it has been raining so of and on only.
Nedu***, Chennai

वाह! डॉन उल्वानो तुमने कैंसर को सचमुच हरा दिया

डॉन उल्वानो ने अपने रेक्टम कैंसर को कैसे ठीक किया, सुनिए उसी की जुबानी….

तुम्हारे धैर्य और संकल्प को मेरा नमन ….
दोस्तों, 21 अगस्त 2016 में अमेरिका की डॉन उल्वानो को रेक्टम का स्टेज-3 कैंसर हुआ। डॉन ने संकल्प लिया कि वह प्राकृतिक तरीके से अपने कैंसर को ठीक करेगी और सर्जरी, कीमो और रेडियोथेरपी कभी नहीं करवाएगी। इसलिए उसकी आंकोलोजिस्ट ने उसे उल्लू, बेवकूफ और ज़ाहिल कहा और डराया कि उसकी मौत इतनी भयानक और कष्टदायक होगी, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती। आंकोलोजिस्ट के मुँह से निकला एक-एक शब्द वह कभी नहीं भुला पाएगी। लेकिन ईश्वर ने उसके लिए कुछ और सोचा था। ईश्वर उसे कैंसर का सही और सटीक उपचार देना चाहता था। तभी उसकी एक दोस्त ने उसे बडविग प्रोटोकोल लेने की सलाह दी और कहा कि वह एमेज़ोन से मेरी पुस्तक कैंसर – कॉज़ एंड क्यौर खरीदे और फेसबुक पर हमारे बडविग प्रोटोकोल ग्रुप को जॉइन करे। उल्वानो ने मुझसे फोन पर उपचार की सारी बारीकियां समझी तथा पूरे विश्वास और सकारात्मक भाव से यह उपचार शुरू किया। 15 दिसंबर, 2016 को उसका सीटी स्कैन हुआ और उसका ट्यूमर 3 सेंटीमीटर से सिकुड़ कर 1.6 सेंटीमीटर रह गया। वह बहुत खुश थी, गॉड ने उसे मेहनत का पूरा फल दे दिया था। उसके लिए इससे बढ़िया क्रिसमस गिफ्ट क्या हो सकती थी। 
वह मुझसे अक्सर हंस-हंसकर बातें करती थी और कई प्रश्न पूछती थी। वह हर बार मुझे धन्यवाद देती और मेरी पुस्तक की तारीफ़ के पुल बनाती रहती। अपने मित्रों और परिजनों से हमेशा मेरी और कैंसर – कॉज़ एंड क्यौर की प्रशंसा करती। वह सबसे कहा करती थी कि मैं उसके लिए ईश्वर का दूत बनकर आया हूँ और मेरी पुस्तक को कैंसर के रोगियों के लिए एक वरदान बतलाती। 
फिर 9 मई, 2017 को एक बहुत बड़ी खुशखबरी (BESTEST NEWS in her words) सुनाई और कहा कि उसका कैंसर पूरी तरह ठीक हो चुका है। इसका पूरा श्रेय उसने ईश्वर, प्रार्थना, बडविग उपचार, व्यायाम, मेरी पुस्तक और मुझे दिया। उसने कहा कि वह आजीवन बडविग के सिद्धांतों पर चलती रहेगी और कभी भी अपनी जीवनशैली को नहीं बिगाड़ेगी। आज उल्वानो परी की तरह आसमान में स्वच्छंद उड़ रही है। कैंसर के रोगियों के लिए डॉन उल्वानो हमेशा प्रेरणा का स्त्रोत बनी रहेगी। आमेन। 
डॉ ओ पी वर्मा 2 नवंबर, 2017

दोस्तों  

यह मेरी एक मरीज डॉन उलवानो हैं, जिसे अगस्त, 2016 में रेक्टम का कैंसर डायग्नोस हुआ। इसने कोई सर्जरी, रेडियो या कीमोथैरेपी नहीं करवाई बल्कि मेरी सलाह पर बडविग प्रोटोकोल लेना शुरू किया। ठीक 9 महीने बाद 9 मई, 1917 को वह कैंसर फ्री हो चुकी थी और आज 24 मई, 2020 तक वह स्वस्थ जीवन बिता रही है। आज वह अपने गार्डन में खुशी से प्याज की खेती कर रही है। ईश्वर उसे लंबी उम्र दे।Dr. O.P.Verma 

ओंकोलोजिस्ट भी नहीं बच सका कैंसर के प्रकोप से, आना ही पड़ा बडविग की शरण में ...

आज हम आपको  एक मशहूर डॉक्टर की कहानी सुनाते हैं। उन्होंने हजारों मरीजों का इलाज किया, लेकिन भाग्य का खेल देखिए कि कैंसर ने उन्हें ही अपना शिकार बना लिया। उन्होंने सारे उपचार कीमो, रेडियोथेरेपी और सर्जरी लेकर देख लिए परंतु कोई लाभ नहीं मिला और बीमारी बढ़ती ही रही। कई महीनों वह बेड रेस्ट पर रहे, और भोजन के लिए नली लगी हुई थी। अंत में उन्होंने मेरे  सुपरविजन में कुछ ही अरसे तक बडविग प्रोटोकोल लिया। कुछ हफ्तों में उन्हें फायदा दिखा और उन्होंने पुनः मरीज देखना भी शुरू कर दिया। मैं उन्हे देखने उनके शहर भी गया था। लेकिन विडंबना देखिए कि स्वास्थ्य लाभ होते होते होते हुए भी उन्होंने बडविग आहार बीच बीच में छोड़ दिया। उनकी फोटो हम आपको वाट्सएप पर शेयर कर सकते हैं।

 

एक यौद्धा की विजय गाथा जिसने कैंसर पर विजय प्राप्त की

 

उज्जैन का रतनलाल टेलर उम्र 80 वर्ष सन् 2000 से पहलवान की तरह कैंसर से लड़ रहा है। कभी कैंसर ऊपर तो कभी रतनलाल ऊपर लेकिन वह कभी कैंसर से डरा नहीं। वह हमेशा कहता है कि वह कैंसर से नहीं मरेगा। इन्हें आंत का कैंसर हुआ था। इन्दौर के महात्मा गांधी मेडीकल कॉलेज के अस्पताल में इनका आपरेशन हुआ और 40 सेंटीमीटर आंत निकाल दी गई। इसके बाद कीमोथेरेपी दी गई। कुछ साल स्वस्थ रहने के बाद उसे दाईं आंख के पास कैंसर की एक गांठ हुई, जिसकी सर्जरी हुई और उपचार किया गया।
सन् 2013 में कैंसर ने फिर रतनलाल को अपना शिकार बनाया और इनके दाएं किडनी और यूरेटर तबाह कर दिया। इन्दौर के महात्मा गांधी अस्पताल में फिर इसकी सर्जरी हुई जिसमें दांया किडनी तथा टूरेटर निकाला गया और रेडियोथेरेपी दी गई। कुछ ही महीनों में कैंसर ने इसके लीवर पर आक्रमण किया और वहां बड़ी-बड़ी गांठें बना डाली। इसके उपचार हेतु काफी मंहगी सोराफोनिब की गोलिया दी गई। लेकिन सोराफेनिब से इसे दस्त और पेचिश हो गया। जब उपचार से भी पेचिश ठीक नहीं हुआ तो डॉक्टर्स ने सोराफोनिब बंद कर दी।
फिर अक्टूबर, 2014 में किसी ने इन्हें मेरे पास भेजा। मैंने इन्हें अपनी बडविग कैंसर उपचार पुस्तक और डी.वी.डी. दी और बडविग उपचार शुरू किया, जिससे इसे बहुत फायदा हुआ। एक वर्ष बाद सितंबर, 2015 में इन्दौर के डॉक्टर्स ने इसकी पूरी जांच की और इसे पूर्णतया कैंसर फ्री घोषित कर दिया। अब रतनलाल को पूरी उम्मीद है कि वह सौ बरस जीयेंगे।

रतन लाल – एक कैंसर यौद्धा की कहानी

 

यह मिस्टर रतन लाल जी हैं, जुलाई 2014 में इनको बोलने और खाने-पीने में बहुत दिक्कत हो रही थी। इन्होंने डॉक्टर को दिखाया जिसने कुछ दवाइयां दी लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था। इसलिए इन्हें एस एम एस हॉस्पिटल जयपुर में रेफर कर दिया गया। 4 अगस्त जांच के बाद पता चला कि इनको स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है। डॉक्टर ने कहा तुरंत भर्ती हो जाओ, आप की सर्जरी करनी पड़ेगी लेकिन इनके एक रिश्तेदार दुलीचंद करेल ने इन्हें मेरे पास आने की सलाह दी।  मैंने प्रोटोकॉल लेने के लिए कहा।  रतन लाल जी ने बडविग प्रोटोकॉल शुरू किया। नियमित रूप से दो बार ओम खंड, फलों और सब्जियों के जूस, कॉफी एनीमा, सोडा बाईकार्ब बाथ, सन थेरेपी और अलसी के तेल का मसाज लिया। मैंने इनको मेडिटेशन, योग निद्रा, प्राणायाम और विजुअलाईजेशन करने के लिए भी कहा।   

इन्होंने प्रोटोकॉल को पूरे विश्वास के साथ लिया, 28 दिन बाद रतन लाल जी मेरे पास दिखाने के लिए आए, इनका ट्यूमर छोटा हो गया था, यह बिना किसी परेशानी के बोल पा रहे थे खा पा रहे थे और पूरे आत्मविश्वास से और सकारात्मकता से सराबोर थे।

 

ब्रेन कैंसर में बडविग का चमत्कार👍

 

गुना मप्र के श्री यशपाल सिंह को 1016 में आक्रामक ब्रेन कैंसर स्टेज IV (ग्लायोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म) डायग्नोज़ हुआ था। उनका पुत्र सिद्धांत उन्हें राजीव गांधी अस्पताल, दिल्ली में उपचार के लिए लेकर गया। वहाँ के ऑन्कोलॉजिस्ट ने उन्हें बताया कि इस कैंसर का कोई इलाज नहीं है और अगर हम सर्जरी, कीमो और विकिरण करते हैं तो वह मुश्किल से 18 महीने जीवित रह पाएंगे। जल्द ही उनका ऑपरेशन किया गया और रेडियोथेरेपी और कीमो दी गई।

कुछ महीनों के बाद, उन्हे रेडियोथेरेपी के कॉम्प्लीकेशन्स हो गये। । उनके ब्रेन में सूजन आ गई, जिससे उनकी मेमोरी चली गई, पेरेलिसिस के कारण चलना फिरना बंद हो गया में असमर्थ और बिस्तर पर आ गए। कुछ ही हफ्तों बाद फिर एम.आर.आई. हुई जिससे पता चला कि ट्यूमर दोबारा हो गए हैं।

फिर फरवरी, 2018 में वह मेरे पास आए और पूरे विश्वास और प्रयासों के साथ बुडविग प्रोटोकोल शुरू किया। बुडविग प्रोटोकोल ने उन्हें रिकवरी में बहुत मदद की। जून 2019 में आखिरी एमआरआई किया गया था और उसमें कोई ट्यूमर नहीं था। अब वह ऊर्जावान है, ठीक से चलते है और लगभग कोई स्मृति हानि नहीं है। उनके पुत्र सिद्धांत ने श्रवण कुमार की तरह अपने उनकी की सेवा की और तभी उनको ब्रेन कैंसर (ग्लायोब्लास्टोमा मल्टीफोर्म) को बडविग से क्यौर किया जा सका…

बडविग प्रोटोकोल का बड़ा और अविश्वसनीय चमत्कार

 

यह वीडियो राजेन्द्र शेखावत का है, इनके पिताजी को मल्टीपल माइलोमा नामक कैंसर है। ये मेरे पास उपचार के लिए आए हैं। इनके एक दोस्त शिवपाल चौधरी ने इनको मेरे पास भेजा है। तीन साल पहले शिवपाल चौधरी ने हमारे यहाँ पिताजी के लंग कैंसर का इलाज करवाया था। 17-18 दिन बाद शिवपाल ने जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी हॉस्पीटल में अपने पिताजी की एम.आर.आई. और चेकअप करवाया। नई और पुरानी एम.आर.आई. देखकर डॉ. उमेश खंडेलवाल एक दम से आश्चर्य चकित हो गए और बोले कि तुम ऐसा क्या इलाज ले रहे हो, तुम्हारा 70% ट्यूमर तो साफ हो गया है। शिवपाल ने डॉक्टर को बताया कि वह कोटा के डॉ. ओ.पी.वर्मा से बडविग उपचार ले रहा है। डॉ खंडेलवाल ने कहा कि तुम वहीं उपचार लेते रहो, तुम जल्दी ठीक हो जाओगे। ऐसा चमत्कारी उपचार है बडविग प्रोटोकोल। इस उपचार को कैंसर के हर मरीज तक पहुँचाने में हमारी मदद करो दोस्तों….

भावनगर के शरद शाह को जीभ के कैंसर में बहुत फायदा हो रहा है पढ़िए…

आदरणीय डॉ. ओ.पी.वर्मा साहब,
आपने मुझे बडविग प्रोटोकोल का सारा विज्ञान और प्रोटोकोल की सारी बारीकियां समझाई। मैं पूरी ईमानदारी से यह उपचार ले रहा हूँ। मेरी जीभ के कैंसर में इस उपचार से बहुत फायदा हो रहा है। आपका बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ। कैंसर के रोगियों के लिए बडविग प्रोटोकोल सचमुच एक चमत्कार है। शरद शाह भावनगर

दस साल से कैंसर-मुक्त है लिन  

हाय डॉ वर्मा!

आज मैं पूर्णतः कैंसर-मुक्त हूँ। मैं आभारी हूं कि दो वर्ष पहले आपने हमारे फेसबुक ग्रुप पर मेरे कैंसर की उपचार यात्रा पर एक छोटी पोस्ट डाली थी। मैं चाहती हूँ कि आप मेरी विस्तृत कहानी पोस्ट करें।

दिसंबर 2008 में मुझे स्टेज 3 कोलोन कैंसर डायग्नोस हुआ। मेरे बुडविग आहार शुरू करने के लगभग 4 महीने बाद मेरा ट्यूमर मार्कर नीचे चला गया। लेकिन मैं बडविग, फ्रूट-वेजिटेबल जूस, कॉफ़ी एनीमा और साथ ही प्राकृतिक सप्लीमेंट्स लेना जारी रखा। वर्ष के अंत में, मेरा PET CT हुआ जिसमें कैंसर का कोई नामोनिशान नहीं था। मैं रेमीशन में थी। भगवान का शुक्र है कि आज अक्टूबर, 2019 तक पूर्णतः स्वस्थ हूँ और रेमीशन में हूँ।
मैं लंबे समय से फेसबुक के बडविग प्रोटोकोल ग्रुप की मेंबर हूँ। सब मुझसे पूछते हैं कि मैंने अपने कैंसर को कैसे ठीक किया। सभी बडविग प्रोटोकोल की पूरी जानकारी लेना चाहते हैं। मैं सभी मरीजों की मदद करना अपना फर्ज समझती हूँ। मैं उनको यह ग्रुप जोइन करने के लिए कहती हूँ, कैंसर कॉज एंड क्यौर पढ़ने की सलाह देती हूँ।

लिन 

 

डॉ. सीगफ्रेड अर्नस्ट ने बडविग के उपचार से अपने स्टॉमक कैंसर को निर्मूल खत्म किया

डॉ. रोबर्ट विलनर  बडविग और डॉ. सीगफ्रेड अर्नस्ट से मिले थे…

 

         Dr. Robert Willner

डॉ. विलनर का परिचय
डॉ. रोबर्ट विलनर (जन्म – 21 जून, 1929 मृत्यु – 15 अप्रेल, 1995) फ्लोरिडा के विख्यात चिकित्सक थे। वे एम.डी. और  पीएच.डी. थे और चालीस वर्षों तक रोगियों की चिकित्सा सेवा में संलग्न रहे। वे एक महान वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता और चिंतक थे। उन्होंने “द कैंसर सोल्यूशन”और “डेडली डिसेप्शन :  “द प्रूफ दैट सैक्स एण्ड एचआईवी डू नॉट कॉज एड्स” जैसी विवादास्पद पुस्तकें लिखी थी। 1978 में उनकी पत्नि को  कैंसर हो गया था और कीमोथैरेपी के कारण बहुत वेदना और तकलीफ झेलनी पड़ी थी। उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने प्राकृतिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों में रुचि लेना शुरू कर दिया।  सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने देश-विदेश की कई यात्राएं की, अनेकों वैकल्पिक चिकित्सकों तथा रोगियों के साक्षात्कार किया और बहुत प्रभावित हुए। वे अचंभित कि ये उपचार बहुत सरल, सुरक्षित और प्रभावशाली थे। उन्हें लगने लगा कि अब सचमुच वह समय आ गया है जब हमें कैंसर में कीमोथैरेपी और रेडियेशन जैसे मारक उपचार की जगह अन्य वैकल्पिक उपचार को भी अपनाना चाहिये।
फ्रुडेनस्टेड में डॉ. बुडविग से साक्षात्कार
कैंसर के वैकल्पिक उपचार की खोज के सिलसिले में मैं डॉ. जोहाना बुडविग से भी कई बार मिला। शुरू में तो मुझे भी  बुडविग के उपचार और विज्ञान पर इतना विश्वास नहीं हो पा रहा था। एक बार मैं फ्रुडेनस्टेड में डॉ. बुडविग के घर पर उनसे साक्षात्कार कर रहा था। तभी अचानक फोन की घंटी बजी और उनकी जर्मन भाषा में एक लंबी वार्तालाप शुरू हो गई। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे फोन का रिसीवर थमाया और बोली,“यह डॉ. सीगफ्रेड अर्न्स्ट का फोन है, जिनके बारे में मैंने आपको  बतलाया था, आप भी इनसे बात कर लीजिये। ये मेरे उपचार से ठीक होकर आज मजे से जी रहे है।” मेरी उनसे लगभग दस मिनट तक बात हुई। मैं उनके अनुभव सुन कर हैरान था, हालांकि उनके बारे डॉ. बुडविग मुझे बहुत कुछ बता चुकी थी। मैंने हॉटल आकर सारी बातें डायरी में लिख ली। अगले दिन शुक्रवार था और मैं स्टुटगर्ट से सुबह 8 बजे की फ्लाइट से फ्लोरिडा लौट जाना चाहता था। मैंने सोचा कि मैं आज ही स्टुटगर्ट चला जाऊं  ताकि अगले दिन में सुबह जल्दी नहीं उठना पड़े। इसलिए मैंने हॉटल के रिशेप्सनिस्ट को फ्लाइट के टिकिट बुक करने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद वह आकर बोला कि स्टुटगर्ट की फ्लाइट में कोई सीट खाली नहीं है, लेकिन यदि मैं ट्रेन से म्यूनिक चला जाऊँ तो वहां से मुझे फ्लोरिडा के लिए आसानी से फ्लाइट मिल जायेगी। मुझे भी यही ठीक लगा। मैंने चेकऑउट किया और टेक्सी से सीधा रेल्वे-स्टेशन पहुँचा। म्यूनिक के लिए ट्रेन आने ही वाली थी। मैंने टिकिट लिया और वहीं बुक-स्टॉल से बुडविग की कुछ किताबें खरीद ली। इतने में ट्रेन भी प्लेटफॉर्म पर पहुँच गई थी। 
म्यूनिक यहाँ से 136.7 किलोमीटर दूर था। मौसम काफी सर्द था और हल्का सा कोहरा भी था। मैंने बुडविग की किताब खोली परन्तु मेरे दिमाग में तो अभी तक डॉ. अर्न्स्ट की एक-एक शब्द गूँज रही थी। इतने में ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी, मैंने बाहर देखा तो यह उल्म स्टेशन था, तभी याद आया कि डॉ. अर्न्स्ट यहीं तो रहते हैं। बस मेरा मन डॉ. अर्न्स्ट से मिलना चाह रहा था।  बस मैंने तुरन्त अपना सूटकेस पकड़ा और वहीं उतर पड़ा। तब शाम के साढ़े सात बज चुके थे, सर्दी बढ़ चुकी थी और कोहरा भी घना हो चला था। मैंने स्टेशन से ही डॉ. अर्न्स्ट को फोन करके सुबह मिलने का समय ले लिया। उन्होंने कहा कल कि कल पूरा दिन हम साथ रहेंगे और दिन का भोजन भी साथ ही करेंगे। 
मैंने स्टेशन से सीधा गोल्डन ट्यूलिप हॉटल पहुँचा। मैं थक चुका था और भूख भी लग रही थी। मैंने वेटर के बुलाया और पूछा कि उनके रेस्टॉरेन्ट में क्याक्या व्यंजन बनते हैं। उसने कहा, “सर, आज रात बहुत सर्द रहने वाली है। बर्फ भी गिर सकती है।  इसलिए पहले आप सोनाबाथ का लुफ्त लें और फ्रेश हो जायें। हमारे हॉटल का सोनाबाथ बहुत मशहूर है। तब तक मैं आपके लिए पक्ड प्राइड ड्राई वाइन, एवोकाडो वसाबी सलाद और गर्म सिज़लिंग फज़ीता तैयार करवाता हूँ।  
अगला दिन मैंने डॉ. अर्न्स्ट (1915-2001) के साथ बिताया। 78 वर्ष की उम्र में भी वे काफी बुद्धिमान, मिलनसार, सक्रिय और ऊर्जावान थे। उन्होंने कहा कि डॉ. विलनर, मेरी कहानी बड़ी दर्दनाक है।  यह 18 मार्च, 1978 की बात है जब मेरे पेट में दर्द हुआ और मैंने उल्म के सर्जरी क्लिनिक में पेट का एक्स-रे करवाया। मेरे आमाशय में कैंसर की गांठ का पता चला और तीन दिन बाद 21 मार्च को हाइडलवर्ग की सर्जीकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रश्चियन हरफर्थ ने मेरा ऑपरेशन किया। जब मुझे होश आया तो  मुझे बताया गया कि मेरी कैंसर बड़ी आंत में भी 1.1 इंच की गांठ हो गई था और कैंसर तिल्ली तक फैल गया था। हरफर्थ यह सब देख कर घबरा गये थे और बिना शल्य किये पेट सिल देना चाह रहे थे, तब नर्सिंग इंचार्ज आर्थर बोह्म ने कहा कि अगर हमें डॉ. अर्न्स्ट की जान बचानी है तो हर जोखिम उठा कर भी ऑपरेशन करने चाहिये। टोली के बाकी लोंगो की  भी यही राय थी। डॉ. हरफर्थ आखिर ऑपरेशन के लिए राजी हुए और मेरा ऑपरेशन साढ़े छः घन्टे चला। उन्होंने मेरा आमाशय निकाल दिया।  गया। । आर्थर की  गुजारिश पर फादर रुपर्ट मेयर से मेरे लिए प्रार्थना की।
लेकिन  आठ दिन बाद  मेरे डायफ्राम के नीचे पस पड़ गया, जिसके कारण मुझे तेज बुखार हो गया। दोबारा ऑपरेशन करके पस निकाला गया, लेकिन दो दिन बाद ही मेरे फेफड़ों में पानी भर (पल्मोनरी एडीमा) गया। मैंने बहुत तकलीफ सही, सांस बहुत फूलती थी और तीन दिन तो मैं बेहोश ही रहा। मुझे नहीं लगता था कि मैं कभी ठीक हो पाऊँगा। मेरे लिए बहुत लोगों (2000 से ज्यादा) ने मन्नतें मांगी, प्रार्थनाएं की। जापान जैसे सुदूर देश में भी मेरे लिए प्रार्थना की गई।  लेकिन आठ हफ्ते बाद धीरे-धीरे मेरी स्थिति में सुधार आने लगा। सभी के प्रयास और प्रार्थना से मैं आखिरकार स्वस्थ हो ही गया। मेरा ठीक होना सभी के लिए खुशी और अचरज की बात थी। 3 मई, 1987 को म्यूनिक के ओलम्पिक स्टेडियम में फादर रुपर्ट मेयर ने मेरे लिए एक सभा आयोजित की थी। इसके बाद फादर से मेरे करीबी रिश्ते बने रहे और वे समय-समय पर मेरी मदद भी करते रहे। परन्तु इससे बाद भी मुझे बहुत कमजोरी और पाचन समबन्धी विकार रहने लगा और मरीज देखना भी बंद करना पड़ा। मुझे मालूम था कि इस तरह के कैंसर में मरीज मुश्किल से एक साल जी पाते हैं।
दो साल बाद फिर कैंसर ने फिर अपना असर दिखाया और पूरे पेट में फैल गया, अब कीमोथैरेपी ही एकमात्र उपचार बचा था। वे जानते थे कि कीमो के बड़े खतरनाक दुष्प्रभाव होंगे और फिर भी जीवन शायद ही बच पायेगा, इसलिए उन्होंने कीमो नहीं लेने का निर्णय लिया। तभी किसी ने उन्हें डॉ. बुडविग के प्रोटोकोल के बारे में बतलाया। वे तुरन्त डॉ. बुडविग से मिले, उनसे उपचार अच्छी तरह समझा और पूरे विश्वास से उनका उपचार लेना शुरू कर दिया। वे रोज अपने पेट पर एलडी ऑयल पेक लगा कर सोते थे और एलडी तेल की ही रोज मालिश भी करवाते थे। उन्हें इस उपचार से बहुत फायदा हुआ। मार्च, 1983 में उल्म के प्रोफेसर डॉ फाइफर ने उनकी जाच की और कहा कि वे पूरी तरह कैंसर से ठीक हो चुके हैं। यह सचमुच एक चमत्कार ही था। इसका पूरा श्रेय उन्होंने डॉ. बुडविग के उपचार और एलडी तेल को दिया। परन्तु इसके बाद भी उन्होंने अपनी जीवन-शैली को नहीं बिगाड़ा और रोज अलसी का तेल व पनीर लेना उनके जीवन का नियम ही बन चुका था। वे नियमित डॉ. बुडविग से संपर्क करते रहते थे। आज 15 वर्ष बाद भी वे पूर्णतया स्वस्थ हैं, बस थोड़ा बहुत पाचन संबन्धी विकार रहता है क्योंकि उनका आमाशय निकाल दिया गया था। 

आज उनके शरीर में आज कैंसर का नामोनिशान भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सचमुच ये मेरा दूसरा जीवन है जो डॉ. बुडविग का दिया हुआ है। पूरे दिन वे उन्हें धन्यवाद देते रहे। उन्होंने कहा कि यह उपचार कैंसर का सबसे बढ़िया उपचार है। हां वे कुछ बातों में बुडविग से सहमत नहीं थे जैसे उन्होंने कहा कि यदि कैंसर की बड़ी गांठे हैं तो शल्य-क्रिया करनी ही चाहिये। जब कि बुडविग कहती थी शल्यक्रिया का निर्णय भी सोच समझ कर लेना चाहिये। डॉ. अर्न्स्ट से मेरी बहुत बातें हुई। उन्होंने बहुत सारी ऐसी बातें बतलाई जो मैं डॉ. बुडविग से सुन चुका था पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। डॉ. अर्न्स्ट से मुलाकात मेरे जीवन की एक यादगार घटना बन कर गई। इस उपचार को लेकर मेरे मन में जो भी संशय या शक थे, वे सब अर्न्स्ट से मिल कर दूर हो चुके थे। जब मैं उनसे विदा ले रहा था तभी उनके पुत्र डॉ. मार्टिन भी आ गये थे। उनसे भी कुछ मिनट अच्छी बातें हुई और मैं हॉटल के लिए निकल पड़ा। 

शांति की आरोग्य यात्रा – आह से अहा तक (3 महीने में बदला जीवन)

इस महिला का नाम शांति उम्र 40 वर्ष है। यह डूँगरगंढ, बीकानेर के पास किसी गांव की रहने वाली है। डेढ़ साल पहले इसकी बच्चेदानी में लियोमायोसारकोमा नाम का कैंसर हुआ। बीकानेर के एक अच्छे अस्पताल में इसका आपरेशन और कीमोथैरपी कर दी गई। 6 महिने तक सब कुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन उसके बाद स्थिती बिगड़ने लगी। उसकी कमर में बांई तरफ एक बहुत बड़ा मेटास्टेटिक ट्यूमर हो गया, जिसमें बहुत दर्द रहने लगा, खून की कमी हो गई और हिमोग्लोबिन 6 से नीचे आ गया। कमजोरी, उबकाई, अनिद्रा तथा कई परेशानियां होने लगी। भूख भी नही लगती थी। एलोपैथी से कोई फायदा नहीं हो रहा था, इसलिए उसने दवाइयां बंद कर दी।

कुछ महीने इधर-उधर भटकने के बाद, किसी ने उसे सही राह दिखाई और तीन महीने पहले वह मुझसे परामर्श लेने आई। वह बहुत कमजोर, सुस्त और निढ़ाल हो चुकी थी, चेहरा पीला पड़ चुका था। वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी, हिमोग्लोबिन 7 ग्राम के आस पास रहा होगा। बांईं तरफ कमर की गांठ में असहनीय दर्द और वेदना थी। यह पूरा परिवार अशिक्षित था और ग्रामीण इलाके के एक खेत में रहता था। ये हिंदी भी ठीक से नहीं बोल पाते थे। इन्हें बुडविग प्रोटोकोल की पूरी ट्रेनिंग देना हमें बड़ा कठिन काम लग रहा था। फिर भी हमने इन्हें बुडविग प्रोटोकोल की ट्रेनिंग दी। मुझे तो लग ही नहीं रहा था कि यह मरीज चार दिन भी बुडविग प्रोटोकोल ले पाएगी। लेकिन डेढ़ महीने बाद उसके भाई का अचानक फोन आया, मुझसे कुछ सवाल पूछे और कहा कि शांति की हालत धीरे धीरे सुधर रही है। यह सब सुनने के बाद भी मुझे कोई खास उम्मीद नहीं थी।

लेकिन जब 25 नवम्बर 2014 को शांति ने मेरे कमरे में कदम रखा तो मैं उसे देखकर स्तभ रह गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि क्या यह वही महिला है जो तीन महिने पहले मुझे दिखाने आई थी। वह बार-बार मुझसे अपना भाषा मे कुछ कहने व पूछने की कोशिश कर रही थी। वह खुश व प्रसन्न दिखाई दे रही थी। उसका चेहरा चमक उठा था। चेहरे के दाग धब्बे दूर हो चुके थे। चेहरे की लाली और चिकनापन देखते बनता था। उसकी रग-रग से ओमेगा-3 और ऊर्जावान इलेक्ट्रोन्स टपक रहे थे। उसकी उल्टियां बंद हो चुकी थी, भूख खुल गई थी, दर्द में भी आराम था। उसका हिमोग्लोबिन बढ़ कर 11.5 ग्राम हो चुका था। उसकी बड़ी सारी गांठ 84X78 से कम होकर 46X34 मि.मी. हो चुकी है। उसके लीवर का आकार सामान्य हो गया है। किडनी का स्टोन निकल चुका है। ये सारा चमत्कार बुडबिग प्रोटोकोल का है। अलसी का तेल अपना असर दिखा चुका है। संलग्न तस्वीर सारी कहानी बयां कर रही है। उसकी दोनों तस्वीरों में रात दिन का फर्क है। आज हमारा आत्म विश्वास शिखर को छू रहा है। शांति की आरोग्य यात्रा की खबरें जर्मनी तक पहुँची हैं। सभी दोस्त हमें बधाई दे रहे हैं। फेसबुक पर लाइक्स और कमेंट्स का अंबार लगा है। जर्मनी से विजुवलाइजेशन गुरू क्लॉस पर्टल ने भी बधाई का मेल भेजा है। ये हमारे लिए फक्र की बात है। हम ऐसा समझते थे कि बुडविग उपचार लेने वाले मरीज को कुछ तो पढ़ा लिखा और समझदार होना जरूरी है। लेकिन शांति ने हमारी इस भ्रांति को हमेशा के लिए चकनाचूर करके रख दिया, तोड़ कर रख दिया। जुग जुग जियो शांति…

बडविग प्रोटोकोल से ठीक हुआ ए.बी. अग्रवाल का प्रोस्टेट कैंसर, पी.एस.ए. लेवल 1142 से घटकर हुआ 108…

I am A.B. Agrawal from Lucknow. I suffer from Prostate Cancer and taking Budwig Protocol under the guidance of Dr O P Verma. Open the report and learn how to reduce PSA level from 1100 to 108 in three months under guidance of Dr Verma. Learn the journey yourself from me. Mr. A.B. Agrawal Mob +919897070676.

 

इस महान पुस्तक के बारे में आपको एक छोटी सी बात बताना चाहती हूँ। पिछले दिनों मेरे ब्रेस्ट में एक बड़ी गांठ हुई, स्पाइन में भी कई जगह बहुत दर्द रहने लगा। मेरा चेकअप हुआ। तीन एम.आर.आई. स्केन करवाए गए। डॉक्टर्स को पूरा शक था कि मुझे कैंसर हुआ है। एम.आर.आइ. स्केन की रिपोर्ट आने में समय था। तभी मैंने अमेज़ोन से डॉ.ओ.पी.वर्मा की पुस्तक कैंसर कॉज़ एंड क्योर मंगवाई। यह मेरे लिए ईश्वर का एक तोहफ़ा था। मैं डरी हुई थी और अपने उपचार की तैयारी कर रही थी। एक रात को मैं परेशान थी और नींद भी नहीं आ रही थी। तभी मैं उठी और अपनी प्यारी पुस्तक को सीने से चिपका लिया। मुझे लगा जैसे मैं बडविग की बाहों में हूँ और उनके शरीर से निकले इलेक्ट्रोन्स मुझे ठीक कर हे हैं। मैं जानती थी कि बडविग महान है और वे ही मुझे जीवन दे सकती है। यह सोचते-सोचते पता ही नहीं चला कब मेरी आँख लग गई। दूसरे दिन डॉक्टर ने मुझे बताया कि मुझे कोई कैंसर नहीं है। मैं बहुत खुश थी। मुझे इस पुस्तक की ताकत पर भरोसा था। मैं बडविग और उनकी क्वांटम फिजिक्स से बहुत प्रभावित हूँ। ऐसी बेमिसाल पुस्तक लिखने के लिए मैं डॉ. ओ.पी.वर्मा की बहुत आभारी हूँ। दोस्तों, आज मैं परी की तरह हवा में उड़ रही हूँ। 

बड़ौदा के डॉक्टर को बडविग प्रोटोकॉल से डेढ़ महीने में मिले हैं चौंकाने वाले रिजल्ट

Miracle miracle miracle – A doctor from Vadodara suffered from B cell lymphoma taking Budwig protocol since 1 and half month under guidence of Dr. O.p. Verma Kota. This is the current PET CT report showing wonderful response.

टंग कैंसर में चमत्कारी फायदा - बडविग की किताब "Cancer The Problem And The Solution" के पन्नों से...

आदरणीया डॉ. बडविग,
सादर प्रणाम,
आपके कथनानुसार मैं अपने उपचार का पूरा ब्योरा भेज रही हूँ। सन् 1993 के शुरू में मेरी जीभ के अगले सिरे पर एक छोटी सी गांठ हुई थी। डॉक्टर ने कहा था कि यह साधारण गांठ है और इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन मुझे इससे खाना खाते या बोलते समय थोड़ी परेशानी होती थी। इसलिए मैं ई.एन.टी. क्लीनिक के प्रोफेसर ए. से मिली और उन्होंने सर्जरी करवाने की बात कही। सर्जरी करवाते समय ही मुझे लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है। सर्जरी के बाद मेरी जीभ बहुत सूज गई थी और काली पड़ गई थी। मुझे दर्द भी बहुत हो रहा था। इसलिए मुझे तीन दिन तक क्लीनिक में ही भर्ती रखा गया। क्लीनिक में मुझे बताया गया कि मेरी गांठ बिलकुल सामान्य है और कोई खतरा नहीं है।
एक हफ्ते बाद क्लीनिक से मुझे फोन आया और मुझे बताया कि मुझे सेलाइवरी ग्लेंड ट्यूमर है। बाद में प्रोफेसर ने मुझे बताया कि उसे सर्जरी में कुछ दिक्कत आई थी, क्योंकि कैंसर जीभ में फैल चुका था। अब वे मेरी एक बड़ी सर्जरी और करना चाहते थे, जिसमें मेरी 3 चौथाई जीभ निकाली जाएगी और मुझे बेहोश करना पड़ेगा। मेरी कंसेंट भी नहीं ली गई। मुझे सर्जरी करवाना उचित नहीं लगा। इसलिए मैंने सर्जरी के लिए मना किया और डर कर घर भाग आई।
डॉ. बुडविग बरसों पहले मेरी मदद कर चुकी थी। इसलिए मैंने डॉ. बुडविग को फोन किया और मिलने का समय तय कर लिया। उनसे मिल कर मैं बहुत संतुष्ट और सहज महसूस कर रही थी। दूसरे दिन मेरे पास हमारे फैमिली डॉक्टर का फोन आया और उसने मुझे अपनी क्लीनिक पर बुलाया। मैंने सोचा कि वह मेरे निर्णय का सम्मान करेगा और सांत्वना देगा। लेकिन वह तो जैसे गुस्सा खाकर बैठा था और मेरे जाते ही चिल्ला कर बोला कि सिर्फ सर्जरी ही मेरी जान बचा सकती है। उसने मुझे समझाने की कोशिश की कि यदि मैं सर्जरी नहीं करवाती हूँ तो कुछ ही महीनों में कैंसर पूरे शरीर में फैल जायेगा।
उसने मुझे एक कैंसर के रोगी से मिलने के लिए भी कहा, जिसकी जीभ की कुछ दिनो पहले ही सर्जरी हुई थी। वह मुझे तो बोलने भी नहीं दे रहा था। वह बार-बार सर्जरी करवाने पर जोर डाल रहा था और कह रहा था कि सर्जरी करवाने पर ही मैं कुछ साल जी पाऊँगी।
फिर मैंने उसे कड़े शब्दों में कह ही दिया कि डाक्टर, मैं सर्जरी नहीं करवाऊँगी। यह सुन कर वह सारी शराफत छोड़ कर बदतमीजी से बोलने लगा कि तो जाओ मरो, अब तो भगवान भी तुम्हे नहीं बचा सकता। इस पूरे वार्तालाप में उसने सहानुभूति का एक भी शब्द नहीं बोला। मैं उसकी क्लीनिक छोड़ कर घर आ गई। उसने मुझे बहुत डरा दिया था। मेरे पैरों के नीचे ज़मीन खिसकी जा रही थी। मुझे आँखों के सामने मौत दिखाई दे रही थी। यह सुन कर मेरे पति ने मुझे सीने से लगाया, प्यार से मेरी पीठ थपथपाई और सीधे मुझे डॉ. बडविग के पास ले कर गए। डॉ. बडविग ने पहले तो मुझे शांत रहने के लिए कहा और फिर अपने पास बैठा कर बड़े प्यार से बात करने लगी। उन्होंने मुझे सारा उपचार समझाया। उनसे मिल कर मैं नये जोश और उम्मीद से भर चुकी थी। बडविग सचमुच ममता की मूरत है।
घर आकर मैंने बडविग के निर्देशों के अनुसार ऑयल-प्रोटीन डाइट शुरू कर दी। जब भी कोई शंका या परेशानी होती, मैं बडविग से बात कर लिया करती। लेकिन अभी भी मेरे फैमिली डॉक्टर ने फोन करना और डराना नहीं छोड़ा था। मैं अक्सर डर जाया करती थी। कई बार मुझे रात को बुरे सपने आने लगे। लेकिन मेरे पति हर कदम पर मेरे साथ थे। जब भी मेरा मन खराब होता मैं डॉ. बडविग से बात करती या उनसे मिलने डाइटर्सवीलर चली जाती थी। उनसे मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगता था।
दो साल से मैं बडविग उपचार ले रही हूँ, आज मैं बिलकुल स्वस्थ और खुश हूँ। मेरा कैंसर पूरी तरह ठीक हो तुका है। यह सब बडविग का आशीर्वाद है। आज हम दोनों ओमखंड बड़े चाव से खाते हैं। हम ईश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं, जिसने हमें बडविग जैसे फरिश्ते के पास भेजा। आज मैं सोचती हूँ कि यदि सर्जरी करवाने से मैं बच भी गई होती तो बिना जीभ के मेरा जीवन कितना कष्टदायक होता। ईश्वर डॉ. बडविग को लम्बी उम्र दे।
ए. एसएच (वेस्टफेलिया)

 

Free download

 

यदि हम सब बडविग के सिद्धांत पर अमल करें तो दुनिया कैंसर-मुक्त हो जाएगी।
इस स्वप्न को साकार करने हेतु हमारी शक्ति बढ़ाइए, दिल खोल कर दान दीजिए…

बडविग चेतना से बड़ा कोई कर्म नहीं और दान से बड़ा कोई धर्म नहीं

अभी दान करें – उषा वर्मा, ट्रेज़रार, बडविग वेलनेस

  

Phillip Morgan says that my belief in the Protocol is strong

(This will be long-winded)
As I stated, our outcome was not the desired result. I was trying to remain positive with my response so, to elaborate, my mothers case was detected late in the process. The drs told my mother and I that she would “be dead by Christmas” (exact phrasing). This was Nov 16 of 2014…giving her a little over a month to live. They said chemo could prolong her life but the trade off would be poor quality of life. A friend had talked about Budwig. We opted for that. Drs sent her home on loads of pain killers and oxygen. Keeping in mind she walked in the center under her own power and only suffering from discomfort in her hip. (I started staying at my mother’s to begin the process and take care of whatever was needed)
Late-December she walked into the kitchen one morning and had left her oxygen thing (cannula) on her bedside table. (We had one of those centrally located oxygen things with a lonnnnng tube). I asked her about that and she said…I guess I don’t need it.
By early January we stopped any pain medication with the exception of a few times when she decided it would possibly make her more comfortable. January she accompanied me on a couple of business appointments (just for the ride and to see the scenery along the way)
Mid-April we took an auto train trip to Florida. (They load your car on a train car, you are a passenger. We opted for a compartment) We had a blast on the ride! Spent over a week in Florida and then took a road trip back to Virginia.
She did amazingly well on the Protocol and once I learned how to enhance the FOCC with fruits, etc she didn’t mind that either! She was very committed to it.
Everyone was amazed at how well she was doing.
Now…the bad thing is, at the end of May…she passed away…as a matter of fact it was five years ago yesterday.
I strongly believe the BW prolonged my Mother’s life, allowed her a quality filled final days. At least she lived five months longer than the drs told her.
I will end with this: my Mother was an RN, she maintained her credentials for 55 years. One thing she admonished thru alllll the years was “stay away from a doctor, they will kill you”. Now, obviously that doesn’t mean ignore a problem and, if possible, look to nurses and PA for guidance. Having been her medical advocate I saw way too many mistakes and oversights, including having the wrong chart entirely, walking into the exam room and calling her by the wrong name!
I am 58 years old and am very fortunate to have had the mother (and father, of course) that I did and am fortunate to be able to say I have not been to a doctor my entire adult life…last time I went was to get a physical to enter college. I may die today because of this but am happy to be able to say it!
Anyone considering the Protocol should absolutely try it.
Whew, NOW I’m done.

Margaret Kopec

I got my cancer diagnosis in March 2018 (throat cancer). I refused what “specialists” were offering me as a treatment, which was usual: operation, chemo, radiation. Just regular stuff they offer everybody. I got hit hard by the news that my life is not going to last very long. I returned home, sat in my chair, and thought “OK, and now what? I realized that I knew nothing about the disease and I just refused the treatment. So I decided to start from there like Lothar. I started an extensive reading. I was putting my hands on every available publication on the subject. On April 01st, 2018 I became a vegan and it’s not a joke. 🙂 Soon enough I came across Dr. Budwig and Lothar Hirnese and Om Verma. I decided to use Dr. Budwig’s protocol as a basis for my own treatment. Well, after all, you know your body the best, so I added few things to it ( all natural). I’m sure Dr. Budwig wouldn’t mind. 🙂 I am following it for one year, one month, and 15 days now. Results are amazing, I am still very much alive in spite of the doctor’s predictions and feeling better every day. My last scan in September was very encouraging. Guys, thank you for your work and for sharing with us your knowledge. You are so right about everything. You save people’s lives. Nothing is nobler than this. Thank you. Posted on May 15, 2019

Sheila Glad gives this awesome comment …

Hey everyone. It will be almost 4 weeks this coming Monday since my mother started Budwig. She was at her primary doctor yesterday, Thursday, and he spoke with her about a living will and basically last wishes. He also told her how her bloodwork from last month was not so good. Everything such as calcium, potassium, magnesium was so low. She was a bit sad, to say the least. She told him she was eating differently, juicing, and changing her lifestyle. The doctor said that’s good and to continue. It cannot hurt anything. They drew more blood though and said they will monitor her progress monthly. This Friday morning she received a call from his office. They told her everything was back to normal. Keep in mind, this wasn’t a full bloodwork panel, just the metabolic one that includes sodium and the other things I mentioned above. Just wanted to share some positive news and encourage others to keep doing the Budwig protocol/diet.

 Alisha D’Mello cured her mom’s uterine cancer with liver met

Hello Dr. Verma, thank you for your inspiration and guidance. My mother who has uterine cancer has started the Budwig protocol. She is using 2% organic cottage cheese as this is what is available to us. Thank you in advance. Alisha D’Mello Posted on Jan 26, 2016, Hello everyone. Wanted to give an update on mom and share some positivity. She was diagnosed with uterine cancer one year ago..with liver met. Chemo was offered but she declined. Started juicing, doing the Budwig protocol, cut out meat dairy, and sugar, coffee enemas, light exercise, and prayer. Liver met was stable after 3 months, started shrinking after another 3 months. She got results for her CT scan today(it’s been 6 months since the last one) and all clear! She will continue with her diet indefinitely. Alisha D’Mello Posted on Dec 17, 2016

 

Lin

Alisha

Sheila Glad

Debbie Harvey

 

Healing Journey of Chris Locher

Chris Locher #February 13 at 2:16 pm # A beautiful Wednesday to all, this I have to share with you all I received some really good news for a change! Just done with my follow-up MRI and met up with my oncologist, my original tumor has shrunk by half, and the second tumor that was right next to ventricle water no longer visible! Love Chris Locher …. and mind you all such came after I cut all traditional medication and switched to a Budwig lifestyle two-plus month ago’ a line up of pictures and recipes I posted for all to use’ this individual menu idea worked for me following the basic ideas of doctor Budwig’ living and especially eating healthy really seems to be key to so many things’ another thing that’s sure I’m encourage even more to continue my Vegan plus one life’ a new MRI update will happen in late April’ best of all to you now! Dr. Om Verma … Hi Chris Locher elaborate your healing journey in detail for our viewers Sarang Kulkarni So happy for you Malu Norabuena Chris Locher how wonderful!! Happy for you!!! Lenka Eliaskova Very happy for you Alex Widmer I really needed this today. I have so many doubts about this journey. Thank you, Chris.

Debbie Harvey’s comment on my FB group Budwig Protocol on my post

Debbie: I refused treatment conventionally, as I felt I was put under pressure and asked at the time I needed to have a think of the whole treatment process, I was forced into signing the declaration to consent to treatment and I stated it was against my will. I wasn’t going to be allowed out of that room unless I did, to which I did in the end and told him under my human rights I felt violated. I am 5.5 months on, Using alternative treatments and I have been in control of my own journey, seeking those that were needed on my pathway and having holistic treatments. I have no more lumps in my breast and have private scans and blood booked for the end of June to see if they clear. I know I have cured and the Budwig diet was part of that process. I have been summoned to see my own GP now next week and will explain exactly what I endured and my reasons. Seek out Shark Carlidge from Health Aid as that blocks the tumor blood supply and this can be used in conjunction with Budwig.

Marva Helmer posts an awesome comment on Jan 1, 2017, on my FB group

Marva Helmer   Happy New Year and January marks 4 years since my cancer diagnosis, (no treatment from any doctor) and I’m SO thankful for the Budwig Protocol. Haven’t felt this good in my entire life. Om Verma  Bravo Marva Helmer. Elaborate your healing journey to all of us… Marva Helmer  Right after I was diagnosed, I decided I’m not a good “sick person” and didn’t want to spend my time in doctor’s offices, taking drugs that can kill you. I was going to live the rest of my life as healthy as I can be.  Looking for any information I could find, I came upon the book “Cancer Cause and Cure” and totally changed the way I live my life. I have been following Budwig Protocol, along with prayer and meditation. In the process, I’ve lost 120 pounds, feel great, and just started doing Yoga.  Thank you for writing the book Om Verma!  Marva Helmer  I had to come back to add, it’s easier to maintain good health, rather than try to regain your health once you’ve lost it. Be aware of what you are eating and avoid processed foods, and stress.  Om Verma  Wonderful Marva Helmer keeps it up. Phillip Morgan says – My belief in the Protocol is strong Phillip Morgan says A-my belief in the Protocol is strong. (This will be long-winded) B-as I stated, our outcome was not the desired result. I was trying to remain positive with my response so, to elaborate, my mother’s case was detected late in the process. The Drs told my mother and me that she would “be dead by Christmas” (exact phrasing). This was Nov 16 of 2014…giving her a little over a month to live. They said chemo could prolong her life but the trade-off would be poor quality of life. A friend had talked about Budwig. We opted for that. Drs sent her home on loads of painkillers and oxygen. Keeping in mind she walked in the center under her own power and only suffering from discomfort in her hip. (I started staying at my mother’s to begin the process and take care of whatever was needed) Late December she walked into the kitchen one morning and had left her oxygen thing (cannula) on her bedside table. (We had one of those centrally located oxygen things with a lonnnnng tube). I asked her about that and she said…I guess I don’t need it. By early January we stopped any pain medication with the exception of a few times when she decided it would possibly make her more comfortable. January she accompanied me on a couple of business appointments (just for the ride and to see the scenery along the way) Mid-April we took an auto train trip to Florida. (They load your car on a train car, you are a passenger. We opted for a compartment) We had a blast on the ride! Spent over a week in Florida and then took a road trip back to Virginia. She did amazingly well on the Protocol and once I learned how to enhance the FOCC with fruits, etc she didn’t mind that either! She was very committed to it. Everyone was amazed at how well she was doing. Now…the bad thing is, at the end of May…she passed away…as a matter of fact, it was five years ago yesterday. I strongly believe the BW prolonged my Mother’s life, allowed her quality-filled final days. At least she lived five months longer than the Drs told her. I will end with this: my mother was an RN, she maintained her credentials for 55 years. One thing she admonished thru all the years was “stay away from a doctor, they will kill you”. Now, obviously, that doesn’t mean ignore a problem and, if possible, look to nurses and PA for guidance. Having been her medical advocate I saw way too many mistakes and oversights, including having the wrong chart entirely, walking into the exam room, and calling her by the wrong name! I am 58 years old and am very fortunate to have had the mother (and father, of course) that I did and am fortunate to be able to say I have not been to a doctor my entire adult life…last time I went was to get a physical to enter college. I may die today because of this but am happy to be able to say it! Anyone considering the Protocol should absolutely try it. Whew, NOW I’m done.

Scan our QR code and donate 

One thought on “मरीजों के अनुभव”

  1. my books
    2015 में मेरेडिथ गुडरिच के कमेंट ने मेरे दिल का छू लिया...
    इस महान पुस्तक के बारे में आपको एक छोटी सी बात बताना चाहती हूँ। मैं प्रफुल्लित थी कि मुझे इस पुस्तक की प्रिंट कॉपी (किंडल कॉपी नहीं) प्राप्त हुई है। पिछले सप्ताह डॉक्टर ने बतलाया कि मेरे स्पाइन में मेटास्टेटिक कैंसर हो सकता है। इसलिए मेरा चेकअप हुआ और तीन एम.आर.आई. स्केन करवाए गए। मैं एम.आर.आई. की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही थी। मुझे लगा कि यह पुस्तक मेरे लिए ईश्वर का एक तोहफ़ा थी। मैं डरी हुई थी और अपने उपचार की तैयारी कर रही थी। मध्य रात्रि को मैं अचानक उठी और अपनी प्यारी पुस्तक को सीने से चिपका लिया। मुझे लगा जैसे मैं बडविग की बाहों में हूँ। मैं जानती थी कि बडविग महान है और वे ही मुझे जीवन दे सकती है। यह सोचते-सोचते मेरी आँख लग गई।
    दूसरे दिन डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी एम.आर.आई. स्केन्स बिलकुल क्लियर हैं। मैं बहुत खुश थी। मैं इस पुस्तक को हमेशा अपने साथ रखने वाली हूँ। मुझे इस पुस्तक की ताकत पर भरोसा है। ऐसी बेमिसाल पुस्तक लिखने के लिए मैं ओम वर्मा की बहुत आभारी हूँ। मैं बडविग प्रोटोकोल और इलेक्ट्रोन तथा फोटोन के क्वांटम विज्ञान से बहुत प्रभावित हूँ। बहुत बहुत शुक्रिया। आज मैं परी की तरह हवा में उड़ रही हूँ।
    मेरेडिथ गुडरिच, न्यू फील्ड्स न्यू हैम्पशायर

    Meridith

    Comment by Meredith Goodrich touched my heart in 2015
    “I want to tell you a little story about the top book. I received it and was so glad to have a hard copy, not a Kindle version. Last week I had been told I might have metastasized cancer from breast to spine. I had three MRIs and had to wait so long for the results. I was given all the incurable bs. During this time I felt like this book was a Godsend. While planning my survival in the middle of the night I just took the beloved book and held it to my chest and went back to sleep because I knew Dr. Budwig was an angel. My tests came back negative and will carry the book in my pocketbook at all times. I just love the energy of this book and will get this one as well. My gratitude for such a beautifully written book Mr. Verma. I love the Budwig Protocol and the explanation of the quantum physics behind the electrons and the photons. Thank you so much.” – Meredith Goodrich, Newfields New Hampshire

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *